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आस्ट्रेलिया इण्डिया यूथ डायलॉग में साझा मुद्दों पर हुयी चर्चा

आस्ट्रेलिया इण्डिया यूथ डायलॉग में साझा मुद्दों पर हुयी चर्चा

  • दोनों देशों के युवा लीडर्स सिडनी यूनीवर्सिटी में हुए एकत्रित

लखनऊ। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देने और मजबूती प्रदान करने के लिये आयोजित हुये आस्ट्रेलिया इण्डिया यूथ डायलॉग कार्यक्रम में दोनों देशों के युवा लीडर्स एकत्रित हुये और विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों के साझा मुद्दों पर चर्चा की। राजनीति, खेल, विज्ञान, चिकित्सा, अर्थशास्त्र, मीडिया, कला जैसे अन्य व्यापक क्षेत्रों से जुड़े भारत और आस्ट्रेलिया के डेलीगेट्स में शामिल युवा सदस्यों को सिडनी यूनिवर्सिटी में हुये इस डायलॉग के समापन कार्यक्रमों के एक प्रमुख प्रायोजक और मेजबान होने के नाते यूनीवर्सिटी ने रचनात्मकता, नेतृत्व और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के विषयों का पता लगाने के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म दिया। वाइस चांसलर तथा प्रेसिडेंट प्रोफेसर मार्क स्कॉट ने बताया कि यह आयोजन ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच साझेदारी को मज़बूत करने का बड़ा ही कीमती मौका था उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया इंडिया यूथ डायलॉग दोनों देशों के उभरते लीडर्स को विचारों के आदान-प्रदान करने, स्थायी संबंध विकसित करने और आम चुनौतियों को संबोधित करने के लिए एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म देता है। एआईवाईडी के साथ हमारी निरंतर साझेदारी ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच इनोवेशन और आपसी समझ को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। हमें गर्व है कि इस अहम पहल के हम एक बार फिर ख़ास प्रायोजक बने हैं। साथ ही हम इसके निस्संदेह असरदार परिणामों की आशा करते हैं।  डॉ. डायना चेस्टर कंटेंपरेरी आर्ट प्रैक्टिसेज में डिजिटल मीडिया तथा सांस्कृतिक विरासत के विशेषज्ञ और डॉ. एंड्रयू सुली फिल्म निर्माता तथा सिडनी कॉलेज ऑफ आर्ट्स में मास्टर्स ऑफ फिल्म एंड स्क्रीन आर्ट्स के लेक्चरर ने एआईवाईडी सम्मेलन में रचनात्मकता पर एक पैनल चर्चा का नेतृत्व किया। डॉ. चेस्टर ने एक साउंड आर्टिस्ट के तौर पर अपने काम के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे रचनात्मकता विभिन्न संस्कृतियों में बेहतर सहयोग स्थापित करने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि अंतर-सांस्कृतिक सहयोग में नेतृत्व ख़ास तौर पर रचनात्मक क्षेत्र में, असल मायने में रिश्तों को कैसे पोषित किया जाए, इसके बारे में है। कला और उससे परे अंतःविषय सहयोग तब सबसे अच्छा काम करता है जब हम सुन कर समझने के लिए जगह बनाते हैं। डॉ. सुली ने तिमोर-लेस्ते में अपने काम पर चर्चा की जहां उनके कई प्रोजेक्ट्स सर्वाइवर  समूहों के साथ एक रचनात्मक सहयोग की तरह रहे हैं, यह उन लोगों की कहानियां बताते हैं जो देश की आजादी की लड़ाई में राजनीतिक हिंसा का शिकार हुए। उन्होंने कहा तिमोर-लेस्ते में अपने काम के दौरान पहली बार मुझे महसूस हुआ कि ऑडियो-विज़ुअल इमेजरी में जनता की राय और नीति को प्रभावित करने तथा राजनीतिक परिवर्तन लाने की बहुत बड़ी ताकत है। आघात से बचे लोगों के साथ काम करते समय मुझे यह भी एहसास हुआ कि स्थानीय लोगों और संस्कृति के बारे में उनके गहन ज्ञान द्वारा निर्देशित होना भी बहुत जरूरी है। हो सकता है कि एक फिल्म निर्माता अपनी कहानियों को दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम या चैनल हो। एसोसिएट प्रोफेसर गोर्बाच ने कहा कि एआईवाईडी सम्मेलन में हमारे सहयोगात्मक परफार्मेंस ने यह दिखा दिया कि कैसे सांस्कृतिक संवाद विविध पृष्ठभूमियों को पाट सकता है और गहरी अंतर-सांस्कृतिक प्रशंसा को बढ़ावा दे सकता है, इससे अहम कनेक्शनों को बरकरार रखने में हमारे कंज़र्वेटोरियम जैसी जगहों की भूमिका साफ झलकती है। डॉ. लियू ने कहा कि कंजर्वेटोरियम में एआईवाईडी समापन समारोह का परफार्मेंस सिर्फ प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि हमारी दुनिया को आकार देने वाले अंतर-सांस्कृतिक और सांस्कृतिक प्रभावों की शक्ति का उत्सव था। अपनी अलग- अलग संगीत परंपराओं को अपना कर और एकीकृत करके हम वास्तव में न सिर्फ कुछ शानदार और प्रेरणादायक बनाते हैं, बल्कि सभी आवाज़ों को सुनने और उनकी सराहना करने के लिए समान अवसरों को भी बढ़ावा देते हैं।

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