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दानवीर भामाशाह का जन्मदिन व्यापारी कल्याण दिवस के रूप में मनाया गया।

दानवीर भामाशाह का जन्मदिन व्यापारी कल्याण दिवस के रूप में मनाया गया। 

लखनऊ,,भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश कार्यालय लालबाग लखनऊ में दानवीर भामाशाह का जन्मदिन व्यापारी कल्याण दिवस के रूप में मनाया गया। उक्त कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और व्यापारी नेता वैश्य नटवर गौयल जी ने साल पत्रकार एवं पाच वैश्य व्यापारी नेताओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश वैश्य व्यापारी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सत्य प्रकाश गुलहरे एवं पूर्व राज्य मंत्री नानकदीन भुर्जी जी उपस्थित थे। कार्यक्रम में भामाशाह जी की मूर्ति को फूल माला से सुशोभित किया एवं आए हुए समाज के अतिथि गढ़ एवं पत्रकार बंधुओ का भी सम्मान किया गया। व्यापारी नेता वैश्य नटवर गोयल , गुलहरे जी एवं नानकदीन भुर्जी जी पूर्व मंत्री ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने भामाशाह जी के जन्मदिन को व्यापारी कल्याण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है इसके प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा एवं आभार व्यक्त किया और माननीय मुख्यमंत्री जी को विश्वास दिलाया कि व्यापारी समाज पूर्णता सरकार के साथ सदैव सहभागिता करने को तत्पर है। माननीय गोयल जी ने घोषणा की है कि प्रत्येक वर्ष 29 जून को भामाशाह जी का जन्मदिन और भी धूमधाम से प्रदेश के प्रत्येक जनपदों में मनाया जाएगा एवं इसके लिए प्रदेश के सभी व्यापारियों को प्रेरित किया जाएगा। वैश्य नटवर गोयल जी ने कहा दानवीर वैश्य कुलभूषण महाराज भामाशाह का जन्म 1547 में वैश्य परिवार में हुआ था, महाराज एक अद्वितीय व्यक्ति थे, जिनकी जीवनगाथा ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। मेवाड़ के महाराणा प्रताप के बाल्यकाल से मित्र और सहयोगी होने के नाते, भामाशाह न केवल उनके विश्वासपात्र सलाहकार थे, बल्कि एक समर्पित योद्धा और महान परोपकारी भी ये। वैश्य नटवर गोयल जी ने यह भी बताया भामाशाह का जीवन अपरिग्रह, अर्थात संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहकर, अपनी मातृभूमि और समाज के प्रति समर्पित था। उन्होंने हमेशा अपने जीवन का मूलमंत्र दूसरों की सहायता और उदारता में देखा। उनका मानना था कि समाज के कल्याण के लिए व्यक्तिगत समृद्धि से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। इस विचारधारा के चलते, भामाशाह का नाम इतिहास में अमर हो गया है। मेवाड के संघर्षपूर्ण दिनों में, जब महाराणा प्रताप मुगलों के विरुद्ध लडाई लड़ रहे थे, भामाशाह ने अपनी अकूत संपति समर्पित सेवाओं से महाराणा प्रताप का भरपूर सहयोग किया। जिससे महाराणा प्रताप को मेवाड का राज्य पुनः प्रास हो सका। इस महान योगदान ने भामाशाह को इतिहास में 'दानपौर' के रूप में पतिहित किया। भामाशाह जी की अपनी महान परंपराओं के कारण उल्लेखनीय व्यक्तित्वों में गिनती होती है। वैश्य समुदाय ने सदैव भामाशाह की उदारता और परोपकार को उच्च सम्मान में दिया है ।भारतीय इतिहास में ऐसे महान दानवीरों का उल्लेख मिलता है, जैसे कि महाभारत के कर्ण, जिन्हें दानवीर' और 'अगराज कहा जाता है। मामासाह को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है, जिन्होंने न केवल अपनी संपत्ति, बल्कि अपने जीवन को भी परोपकार और मातृ‌भू‌मि की सेवा में समर्पित कर दिया। भामाशाह का जीवन और उनकी असाधारण उदारता हमें सिखाती है कि सच्चा सम्मान और अमरता परोपकार और सेवा से प्रास होती है, न कि केपल व्यक्तिगत संपति और शक्ति से। उनकी कहानी भारतीय इतिहास में एक प्रेरणास्रोत के रूप में बनी रहेगी। माननीय मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में भी समय समय पर शासनादेश जारी कर अधिकारीयों को स्पष्ट निर्देश करते रहे है कि व्यापारियों का सम्मान एवं सुरक्षा एवं व्यापारी का शोषण ना हो इस पर भी बल दिया जाए जिसपर माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के ऊपर प्रदेश के व्यापारियों का भरोसा बढ रहा है यही कारण है तमाम व्यापारी वर्ग जिनका प्रदेश से पलायन हो चुका था यह उत्तरप्रदेश में पुनः अपना व्यापार स्थापित कर रहे हैं।

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