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ऑल इंडिया पयाम ए इंसानियत फोरम ने सजाई जिम्मेदारों की महफिल

ऑल इंडिया पयाम ए इंसानियत फोरम ने सजाई जिम्मेदारों की महफिल

  • अपने बुजुर्गों की रवायत को बचाना ही इंसानियत है:सुशील दुबे
  • अपने दिलों से नफरतें और अहंकार निकाल दीजिए इंसानियत जिंदा हो जाएगी :अब्दुल वहीद
  • हमारे होने से लोगों को लाभ पहुंचे और तकलीफ ना हो यही इंसानियत है आमिर मुख़्तार

लखनऊ। लखनऊ के टूरिया गंज चौराहे पर स्थित अमन शांति समिति हॉल में ऑल इंडिया पयाम ए इंसानियत फोरम के पदाधिकारियों ने हमारा समाज हमारी जिम्मेदारी विषय से एक सेमिनार का आयोजन किया जिसका शुभारंभ डॉक्टर उमंग खन्ना ने अपनी बात रखते हुए किया की सभी बुद्धिजीवियों मनीषियों और शहर के संभ्रांत नागरिकों को मिलकर एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए ताकि मोहब्बत और इंसानियत का चलन आम हो जाए आयोजन का संचालन वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर उमंग खन्ना ने वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कृष्णा वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी, एनपीटीआई अध्यक्ष नजम एहसन जावेद बेग, वरिष्ठ समाजसेवी मोहम्मद ज़ीशान रिज़वान कुरैशी, मोहम्मद गुफरान, अमन शांति समिति के उपाध्यक्ष इसराइल कुरेशी, मोहम्मद रिज़वान, की मौजूदगी में किया सेमिनार में मौलाना कौसर नदवी ने सेमिनार में सबसे पहले बोलते हुए कहा की हर देश की मिट्टी की अपनी खासियत है लेकिन हिंदुस्तान की मिट्टी में प्यार मोहब्बत और अपनेपन का एहसास और सुगंध मौजूद है जो तमाम हिंदुस्तानियों को आपस में संस्कृति साहित्य और मानवता के साथ जोड़ती है, फ्रीलांस पत्रकार वरिष्ठ समाजसेवी सुशील दुबे ने अपने वक्तव्य में कहा की हम अपने बुजुर्गों की रवायत से और उनके उसूलों से दूर होते जा रहे हैं जिस कारण आपसी सद्भावना इंसानियत और सौहार्द कहीं ना कहीं आहत हो रहे हैं हमें ज़रूरत है देश और अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए अपने बच्चों को अपने बुजुर्गों की रवायत और उनके आदर्शों से जोड़ने की, वरिष्ठ समाजसेवी पत्रकार अब्दुल वहीद ने अपनी बात रखते हुए कहा की हमें अपने अंदर से अहंकार और नफरतों को दूर करना होगा तभी यह समाज बेहतर बन सकता है हर इंसान को ज़रूरतमंद इंसान की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए अपनी क्षमता के अनुसार, राजधानी के चर्चित उद्घोषक लेखक आमिर मुख़्तार ने कहा की हमारे होने से अगर लोगों को फायदा हो किसी को नुकसान नहीं हो यही इंसानियत है अपने ईश्वर को खुश करने का सबसे आसान तरीका है उसके बनाए हुए इंसानों के दुख दर्द उनकी परेशानियों को दूर करो और उन्हें खुश रखो, वरिष्ठ समाजसेवी ऋतुराज रस्तोगी ने अपने वक्तव्य में कहा की हम अगर इंसान हैं तो हमारे अंदर इंसानियत का होना अति आवश्यक है दूसरों की मदद बिना भेदभाव के करना ज़रूरतमंद की ज़रूरत को पूरा करना ही इंसानियत है, वरिष्ठ समाजसेवी पत्रकार परवेज अख़्तर ने चंद पंक्तियों के माध्यम से अपनी बात रखी जिसमें उन्होंने कहा कि हम पढ़ने लिखने के बाद भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रहे हैं, वहीं वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट अज़ीज़ सिद्दीक़ी ने सभी से कहा कि हमें भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देना है नफरतों को दिलों से मिटाना है, वरिष्ठ समाजसेवी शाफइन कुरैशी ने कहा भूखे को खाना खिलाना और प्यासे को बिना मज़हब पूछे पानी पिलाना इंसानियत है, पिया में इंसानियत फोरम के पदाधिकारी हाजी सिराज खान ने कहा कि स्वर्गीय हज़रत मौलाना अली मियां नदवी साहब ने 1974 में ऑल इंडिया पयाम इंसानियत फोरम का आगाज किया था कि इस संस्था के द्वारा हर मजहब के इंसानों की खिदमत और मदद हो सके और इसके माध्यम से इंसानियत का पैग़ाम पूरे देश में आम हो सके, डॉ मोईद ने कहा कि हमें अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और इंसानियत का पाठ पढ़ाना चाहिए, वरिष्ठ समाजसेवी चिराग ने कहा कि हम सबको मिलकर समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों को खत्म करने के लिए समाज के जरूरतमंद लोगों की सेवा करनी चाहिए और जो अशिक्षित हैं उन्हें शिक्षा प्रदान करने में उनका योगदान करना चाहिए क्योंकि शिक्षा ही हमें इंसान बनाती है, कार्यक्रम के आयोजक मौलाना कासिम ने कहा की ऑल इंडिया पयारमे इंसानियत फोरम भारत के 28 राज्यों में खिदमत का काम कर रही है इस प्रोग्राम को कराने का मकसद सिर्फ इतना है कि हम समाज के अच्छे लोगों को साथ जोड़कर एक अच्छे समाज का गठन कर सकें, कार्यक्रम के अंत में अमन शांति समिति के पदाधिकारी कुतुबुद्दीन कुरैशी ने अमन शांति समिति के अध्यक्ष इमरान कुरेशी की ओर से सभी अतिथियों को धन्यवाद देते हुए कहा आप यहां आए और इंसानियत के पैगाम को आगे बढ़ाने में हमारा सहयोग किया इसके लिए हम आपके आभारी हैं। 

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