कानपुर, अगस्त 2022 : कानपुर शहर के प्रमुख सुपर-स्पेशिलिटी हॉस्पिटल ग्रुप रीजेंसी हेल्थ ने किफायती दरों पर पिछले एक साल में 25 से ज्यादा सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया हैं, इससे 40 लोगों की जान बचाने मे मदद मिली है। 1993 में स्थापित रीजेंसी हेल्थकेयर ने 1996 में किडनी ट्रांसप्लांट करना शुरू कर दिया था। केवल 2020 में कोविड-19 के कारण कोई ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया था।
रीजेंसी हेल्थ ने इलाहाबाद, इटावा, घाटमपुर, बांदा, फतेहपुर, फरुखाबाद, झांसी, हमीरपुर और महोबा सहित यूपी के विभिन्न क्षेत्रों के मरीजों मे ट्रांसप्लांटेशन को अंजाम दिया है। डॉक्टरों की एक अनुभवी और बड़ी टीम अस्पताल में ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी के लिए काम कर रही है।
रीजेंसी रीनल साइंसेस, कानपुर के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉयरेक्टर और सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ निर्भय कुमार ने बताया, "टेक्नोलॉजी में कई अविष्कार होने से किडनी ट्रांसप्लांट अंतिम स्टेज वाले किडनी की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए भी लॉन्ग टर्म के लिए फायदेमंद हो सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट से पहले कई फैक्टर पर विचार किया जाता है। हम अस्पताल में यह सुनिश्चित करते हैं कि मरीजों को प्रक्रिया के बारे में अच्छी तरह से पता हो। ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे किडनी फेलियर वाले मरीजों के लिए डायलिसिस एक इलाज़ की तरह काम कर सकता है। इसके लिए आपके पास एक बेहतर डायलिसिस सेन्टर में डायलिसिस सुविधा होनी चाहिए जो ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को तैयार करें और उनका चयन करें।"
किडनी ट्रांसप्लांट करवाना एक जीवन बदलने वाला अनुभव हो सकता है। इसे करवाने वाले को यह पता होना चाहिए कि इससे उसे क्या फायदा हो सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट होने वाले अंगो में से एक है। कुल अंगो के ट्रांसप्लांटेशन में किडनी ट्रांसप्लांटेशन की हिस्सेदारी 70% से ज्यादा है।
रीजेंसी रीनल साइंसेस, कानपुर के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉयरेक्टर और सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ निर्भय कुमार ने कहा, "किडनी ट्रांसप्लांट कराने से आप सक्रिय और स्वस्थ लाइफस्टाइल जी सकते हैं लेकिन इसके साथ कुछ खतरे बने रहेंगे। किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर लगभग 95% है, जिसका मतलब है कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 5% से कम लोगों को समस्याएं होती हैं। जब आप अपनी सर्जरी की तैयारी कर रहे हों, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने डॉक्टर से सभी संभावित साइड इफेक्ट्स और कॉम्पलिकेशन के बारे में पूछ लें। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद का जीवन सर्जरी से पहले की तुलना में बहुत बेहतर होता है, लेकिन इसके अलावा भी कई चीजें होती हैं जिनके बारे में लोगों को पता होना चाहिए।"
ज्यादातर केस में मरीज अपनी सर्जरी के बाद अस्पताल में दस दिन बिताने के बाद डिस्चार्ज होकर घर जाने लायक हो जाते हैं। ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया के बाद पहले चार से पांच महीनों के भीतर कई बार डॉक्टर को दिखाना पड़ता है। ट्रांसप्लांट के बाद दान की गई किडनी तुरंत काम करना शुरू कर देती है और कुछ ही दिनों में सामान्य रूप से काम करने लगती है। आपके शरीर को नई किडनी को अस्वीकार करने से रोकने के लिए इम्यून सिस्टम (इम्यूनोसप्रेसेंट्स) को दबाने वाली दवाएं लेने की जरूरत है। जब शरीर नई किडनी को स्वीकार नहीं करता है तो व्यक्ति को संक्रमण और कैंसर का ख़तरा रहता है, विशेष रूप से लिंफोमा होने का ज्यादा ख़तरा रहता है। यही कारण है कि ट्रांसप्लांटेशन के बाद के महीनों में मरीज़ की बारीकी से निगरानी की जाती है।
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