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एचसीएल फाउंडेशन ने उत्‍तर प्रदेश में ग्रामीण महिला शिल्‍पकारों को सशक्‍त करने के लिये फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ साझेदारी की

 

एचसीएल फाउंडेशन ने उत्‍तर प्रदेश में ग्रामीण महिला शिल्‍पकारों को सशक्‍त करने के लिये फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ साझेदारी की

  • ग्रामीण महिला शिल्‍पकारों द्वारा हाथ से बनाये गये उत्‍पादों की श्रृंखला ‘समुदाय क्राफ्ट्स’ का ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म पर अनावरण 

लखनऊ, 28 मई 2022: एचसीएल फाउंडेशन ने अपने प्रमुख कार्यक्रम एचसीएल समुदाय के अंतर्गत फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत उत्‍तर प्रदेश के हरदोई जिले में मौजूदा हस्‍तशिल्‍पों को नया जीवन देकर और ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्‍यम से कुशलता देकर आजीविका के अवसर प्रदान किये जाएंगे। इस पहल के हिस्‍से के तौर पर एचसीएल समुदाय ने समुदाय क्राफ्ट्स का अनावरण किया, जिसमें 500 ग्रामीण महिला शिल्‍पकारों द्वारा हाथ से तैयार किये गये उत्‍पादों की एक श्रृंखला है। आयोजन के दौरान ‘अलंकार’ नामक होम डेकर प्रोडक्‍ट्स (गृह सज्जा की सामग्रियाँ) की एक खास रेंज को भी लॉन्‍च किया गया। यह सभी उत्‍पाद फ्लिपकार्ट की वेबसाइट https://bit.ly/3lBtUea पर उपलब्‍ध होंगे।

आयोजन में उत्‍तर प्रदेश सरकार के उप मुख्‍यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य बतौर मुख्‍य अतिथि मौजूद थे। उनके साथ उत्‍तर प्रदेश सरकार की ग्रामीण विकास राज्‍यमंत्री श्रीमती विजय लक्ष्‍मी गौतम, उत्‍तर प्रदेश सरकार के कृषि उत्‍पादन आयुक्‍त और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव, आईएएस श्री मनोज कुमार सिंह, एचसीएल समुदाय और क्‍लीन नोएडा, एचसीएल फाउंडेशन के परियोजना निदेशक आलोक वर्मा और फ्लिपकार्ट ग्रुप में सरकारी मामलों के निदेशक श्री तुषार मुखर्जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।  

इस अवसर पर उत्‍तर प्रदेश सरकार के उप मुख्‍यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “उत्‍तर प्रदेश सरकार हरदोई जिले की 11 विकास खंडो में ग्रामीण विकास के छह क्षेत्रों - शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, कृषि, जल एवं स्‍वच्‍छता, बुनियादी ढाँचा तथा आजीविका में एचसीएल फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर रही है। आजीविका में मध्यवर्तन के माध्‍यम से 22000 से ज्‍यादा ग्रामीण महिलाएँ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में समर्थ हुई हैं। फ्लिपकार्ट के साथ एचसीएल फाउंडेशन की साझेदारी से ग्रामीण महिला शिल्‍पकारों को अपने हस्‍तशिल्‍पों के माध्‍यम से व्‍यापक ग्राहक आधार तक पहुँचने में और भी मदद मिलेगी। इस पहल के लिये मैं उन्‍हें बधाई देता हूँ। राज्य सरकार ने हमेशा हस्तशिल्प का समर्थन किया है और हम राज्य के अन्य हिस्सों में ऐसे क्लस्टर विकास मॉडल की प्रतिकृति का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

एचसीएल फाउंडेशन के परियोजना निदेशक, आलोक वर्मा ने कहा कि, “हस्‍तशिल्‍प का क्षेत्र पांरपरिक हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों को बनाने में कुशल ग्रामीण महिलाओं को आय का एक वैकल्पिक स्रोत निर्मित करने का मौका देता है। एचसीएल समुदाय आजीविका मध्यवर्तन के हिस्‍से के तौर पर 2015 से आजीविका के अवसरों की एक श्रृंखला के साथ 22,000 महिलाओं को सहयोग दे चुका है। हमारे प्रयासों के माध्‍यम से करीब 2,000 महिला शिल्‍पकारों को अतिरिक्‍त आय का लाभ हुआ है और हमें लगा कि अगर हम उन्‍हें सीधे उपभोक्‍ताओं से जुडें तो इसकी संभावना काफी बड़ी हो सकती है। फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ हमारी साझेदारी इसी दिशा में एक कदम है, जिससे इन शिल्‍पकारों की स्थिति सचमुच बदल सक‍ती है। इस साझेदारी से कुशल शिल्‍पकारों की वैश्विक मंच पर निपुणता दिखाने में मदद मिलेगी, जिसके फलस्‍वरूप उनकी पहचान और पारिश्रमिक बढ़ेगा। हमें आशा है कि इस साझेदारी से इन शिल्‍पकारों को प्रतिमाह सीधे 8,000 रूपये से लेकर 10,000 रूपये तक की बिक्री करने में सहायता मिलेगी।‘’

फ्लिपकार्ट ग्रुप में कॉर्पोरेट मामलों के मुख्‍य अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि, “फ्लिपकार्ट की समर्थ पहल कम सेवा-प्राप्‍त समुदायों, शिल्‍पकारों, बुनकरों और कारीगरों को ई-कॉमर्स की शक्ति का प्रयोग करते हुए सहयोग और राष्‍ट्रीय बाजार तक पहुँच देने के लिये 2019 में लॉन्‍च हुई थी। इस पहल के माध्‍यम से हमने देश में इस कार्यक्रम से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका में सहयोग दिया है। एचसीएल समुदाय के साथ इस साझेदारी के तहत हम इन प्रतिभाशाली महिला शिल्‍पकारों तक डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था के मौके पहुँचाने, इनकी आर्थिक आजादी में सहयोग देने और इनकी स्‍थानीय शिल्‍पकलाओं को दुनिया की नजरों में लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।“

समुदाय क्राफ्ट्स की सहायता से ग्रामीण शिल्‍पकार घर की सजावट, जीवनशैली और परिधान जैसी श्रेणियों में उत्‍पाद बनाकर बेच सकते हैं। यह शिल्‍पकलाओं की एक श्रृंखला की पेशकश करता है, जैसे कि टाटा एम्‍ब्रॉइडरी, प्राकृतिक फाइबर-आधारित शिल्‍पकलाएँ (मूँज, काँस और व्‍हीट ग्रास), हाथ की एम्‍ब्रॉइडरी (चिकनकारी), ब्‍लॉक-प्रिंटिंग और टाई ऐंड डाई। इन उत्‍पादों का मूल्‍य 200 रूपये से शुरू होकर 3,500  रूपये तक जाता है। ये ग्रामीण महिला शिल्‍पकार 2017 से एक समूह के तौर पर मिलकर काम कर रही हैं और पिछले पाँच वर्षों में 3.5 करोड़ रूपये का राजस्‍व अर्जित कर चुकी हैं और निजी रूप से इन्‍होंने औसतन 2,500 रूपये से लेकर 3,000 रूपये प्रतिमाह का उपार्जन किया है। यह अतिरिक्‍त आय जिले की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा के बोध से सशक्‍त कर रही है और परिवार में कमाने वाला सदस्‍य बनने में इनकी मदद कर रही है। यह आजीविका बढ़ाने की एक व्‍यापक पहल है, जिसमें महिलाओं को कौशल विकास के माध्‍यम से न केवल हस्‍तशिल्‍प में, बल्कि आर्थिक साक्षरता, डिजाइन और विपणन के लिये संपर्क से भी सशक्‍त किया जाता है। इन्‍हें एचसीएल समुदाय के अंतर्गत स्‍वास्‍थ्‍य की पहलों के फायदे भी मिलते हैं, जिससे समग्र बदलाव आता है।

ग्रामीण महिलाएँ अपनी शिल्‍प-निर्माण कुशलताओं को पैना करें, यह सुनिश्चित करने के लिये एचसीएल फाउंडेशन ने बीते वर्षों में क्राफ्टीजन्‍स, कदम और रंग सूत्र के साथ साझेदारी की है, ताकि शिल्‍पकारों को कई शिल्‍पों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। शिल्‍पकारों को विभिन्‍न प्रदर्शनियों, जैसे कि दस्‍तकार, दिल्‍ली हाट, जयपुर लाइफस्‍टाइल्‍स फेस्टिवल्‍स और हेरिटेज आदि में अपना काम दिखाने के लिये भी सहयोग दिया गया है।

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