- गोसाईगंज स्थित त्रिवेदी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी गई श्रद्धांजलि
- सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की समाधि को सम्मान नहीं दिया तो परिवार देगा धरना
आज दिनांक 7 फरवरी 2022 को रामपाल त्रिवेदी सेवा संस्थान द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,पूर्व विधायक व संस्थापक रामपाल त्रिवेदी इन्टर कॉलेज, गोसाईगंज, लखनऊ में स्व. पंडित रामपाल त्रिवेदी जी की 116वीं जयंती के अवसर पर पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पंडित जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई व मिठाई वितरण किया गया। स्व. त्रिवेदी जी के पुत्र श्री अरूण त्रिवेदी जी ने बताया की भारत मां को दासता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए देश के जिन असंख्य सपूतों ने भौतिक सुख समृद्धि पर लात मार कर ब्रिटिश शासन की चुनौती स्वीकार की और जिनकी अनवरत तपस्या साधना के फल स्वरुप स्वतंत्रता का सपना साकार हुआ ऐसे भक्तों में स्वर्गीय पंडित रामपाल त्रिवेदी जी का नाम विशेषोल्लेख्य है। कर्मयोगी तिलक की साधनास्थली व प्रणवीर सुभाष की कर्मस्थली मांडले (बर्मा) में 7 फरवरी 1906 को आपका जन्म हुआ। आपके पिता पंडित कन्हैयालाल त्रिवेदी उस समय बर्मा मिलिट्री पुलिस में सूबेदार मेजर थे। 1910 ई. में आप अपने पिताजी के साथ पहाड़नगर जिला लखनऊ लौट आए। 12 वर्ष की आयु तक यही विद्याध्ययन के उपरांत वे पुनः 1918 में बर्मा चले गए तथा 1921 तक मैटीला (बर्मा) में अध्ययन किया।
सन 1921 में संपूर्ण देश में विदेशी सत्ता के प्रति व्यापक असंतोष का स्वर उबर रहा था। 1921 में भारत आने पर श्रद्धा त्रिवेदी जी भी इससे वंचित नहीं रहे। गांधी जी के असहयोग आंदोलन में वे कूद पड़े जिसमें उनके तन मन को ही नहीं वरन आत्मा को शांति मिली। मई 1931 में कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए वे पहुंचे ही थे कि शासन की क्रूर दृष्टि के शिकार बन गए। फल स्वरुप उन पर डंडे बरसाए गए और एक मास पर्यंत उन्हें बंदी रहना पड़ा। उनके साथ कार्यों के फल स्वरुप ही उन्हें 1932 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सदस्य चुना गया तथा तब से लेकर 1973 तक वे बराबर उसे सुशोभित करते चले आ रहे हैं 20 जनवरी 1932 को त्रिवेदी जी को विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया तथा 16 जून 1932 को वह रिहा कर दिए गए। स्व. त्रिवेदी जी के प्रपौत्र आशीष त्रिवेदी ने कहा कि 9 अगस्त 1942 को जब की समग्र देश में स्वतंत्रता की लहर सी दौड़ रही थी त्रिवेदी जी भारत छोड़ो आंदोलन के कारण पुनः गिरफ्तार हुए तथा 4 नवंबर 1943 को मॉडल जेल लखनऊ से रिहा कर दिए गए। अंत मे उनका प्रयत्न साकार हुआ और 1947 में अंग्रेजों को देश के सपूतों के समक्ष नतशिर होना पड़ा। 1957 में त्रिवेदी जी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1977 तक वह अजय विधायक रहे।
वहीं उत्तर प्रदेश टिम्बर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष व प्रपौत्र मोहनीश त्रिवेदी ने बताया कि रामपाल त्रिवेदी जी का व्यक्तित्व अत्यंत उर्जस्वित एवं महान था। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता थी त्याग व निस्वार्थ परायणता जिसके फलस्वरूप उन्होंने सन 1952 में दिया हुआ कांग्रेस का टिकट ठुकरा कर अपने दैनिदन उसूलों की रक्षा की। श्री त्रिवेदी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने फोन के माध्यम से व मध्य विधानसभा से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा जी ने भी स्व. त्रिवेदी जी को जयंती पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रदेश युवा उद्योग व्यापार मंडल के नगर अध्यक्ष आसिम मार्शल ने कहा कि आज के इस भौतिकवादी युग में जबलोग राजनीतिक तिकड़म बाजी से ऊंचे से ऊंचे पद पर पहुंचने की चेष्टा करते हैं तथा राजनीति को धन उपार्जन का माध्यम समझते हैं ऐसे में त्रिवेदी जी जैसे साधक विरले ही मिलते हैं जो पद और प्रतिष्ठा से अपने को बचाते रहे। वस्तुत यह सच्चे अर्थों में त्यागी एवं समाजसेवी थे उनके भौतिक जीवन से उनके सिद्धांत महान थे उनके व्यक्तित्व में तिलक जी की गंभीरता, लाजपतराय जी की इच्छा- शक्ति, पटेल जी की दृढ़ता, महात्मा गांधी जी की त्यागशीलता, नेहरू जी की सहिष्णुता तथा शास्त्री जी की कर्मण्यता का मंजूल समन्वय था।आज शिक्षा माफियाओं द्वारा ऐसे महापुरुष की समाधि स्थल व उनके द्वारा गरीबों के लिए बनवाए गए कॉलेज की दुर्दशा देख कर बहुत कष्ट हुआ। मार्शल ने कहा कि आने वाले समय में यदि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की समाधि स्थल को उचित सम्मान नहीं मिला तो स्व. त्रिवेदी जी परिवार के साथ इसी समाधि स्थल पर हम सब धरने पर बैठेंगे। स्व. त्रिवेदी जी को श्रद्धांजलि देने वालो में मुख्यरूप से अवनीत कौर रूप यादव,शिवम् पांडेय,सौरभ पांडेय,प्रधानाचार्य रोहित कुमार वर्मा, अध्यापक सुनील अवस्थी, अजमी,कुसुम लता त्रिवेदी,संगीता त्रिवेदी,सुरेश मिश्रा, आन्या व अवि मौजूद रहे।
Comments
Post a Comment