- एक जुलाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के स्थापना दिवस पर महामहिम राज्यपाल ने अनूठे मेंटरशिप प्रोग्राम के बारे में विस्तार से की चर्चा।
लखनऊ: जुलाई 1, 2021: गुरुवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के स्थापना दिवस के अवसर पर महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल 'सखियों' से मिली। वे सखियों से मिलकर काफी प्रसन्न दिखीं और उनसे उनके कार्य के बारे में दिलचस्पी के साथ विस्तार में जानकारी ली। ये सखियां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया लखनऊ सर्किल के चीफ जनरल मैनेजर श्री अजय खन्ना की पहल पर शुरू हुए मेंटरशिप प्रोग्राम 'सखी' का हिस्सा हैं। उनकी इस अनूठी पहल की सफलता को देखते हुए जनवरी 2021 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 'सखी' मेंटरशिप को पूरे देश मे लागू कर दिया है।
श्री अजय खन्ना ने बताया, "इस मेंटरशिप प्रोग्राम को शुरू करने का मकसद था नई महिला कर्मचारियों को एसबीआई की कार्य संस्कृति से परिचित कराना और उनके दैनिक कार्य के आने वाली समस्याओं को दूर करना। जब इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो धीरे-धीरे यह पता लगने लगा कि दूर दराज ग्रामीण इलाकों में स्थित कई ब्रांच में महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। जैसे ही इस बात का पता चला उन ब्रांचेज में टॉयलेट्स की व्यवस्था की गई। जहां किन्ही कारणों से महिला शौचालय की व्यवस्था नही हो पाई, वहां महिला कर्मियों की तैनाती न करने का फैसला लिया गया।"
उन्होंने आगे बताया,"इसी तरह दूर दराज के इलाकों में अक्सर महिला कर्मचारियों को सुनसान इलाकों से पैदल ही चलकर जाना होता था। यह उनकी सुरक्षा के लिए बड़ी चिंता का कारण था। यह समस्या सामने आने पर सभी महिला कर्मियों की तैनाती अब केवल उन्हीं इलाकों में की जा रही है, जो इलाके के मुख्य मार्ग पर स्थित हैं या फिर जहां कार्यस्थल पर जाने पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
श्री खन्ना बताते हैं, "इस मेंटरशिप प्रोग्राम में एक वरिष्ठ महिला अधिकारी को दो साल तक जूनियर महिला कर्मचारियों के साथ टीम के रूप में जोड़ दिया जाता है। सीनियर का दायित्व होता है कि वह जूनियर महिला कर्मी की हर छोटी-बड़ी समस्या दूर करने, काम का तनाव कम करने व उसे नए माहौल में ढलने में सहयोग करे।"
उन्होंने इस मेंटरशिप प्रोग्राम को शुरू करने का मकसद बताया, " मैनें जून 2020 में लखनऊ आफिस ज्वाइन किया तो यह समझ आया कि बैंक में देश के कोने-कोने से महिला कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। यह सभी विभिन्न कल्चरल बैकग्राउंड से आती हैं। नए परिवेश, नए लोगों को समझने में समय लगता है, इसलिए अक्सर समस्याएं आती हैं। ऐसी समस्याओं का स्थायी हल खोजने के लिए ही 'सखी' मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू किया गया। सखी नाम देने का उद्देश्य था कि एक सहेली से अपनेपन में सारी बातें खुलकर साझा की जाती हैं। सखियां खुलकर अपना तनाव भी आपस में साझा करती हैं और मुश्किलें भी मिलकर दूर कर लेती हैं।"
Comments
Post a Comment