अज़ान और समाज में फैली ग़लत फ़हमियां
अज़ान और नमाज़ के सम्बन्ध में अनभिज्ञता के कारण हमारे समाज में बड़ी ग़लतफ़हमियां पाई जाती हैं। यह बात उस समय और अधिक दुखद होजाती है, जब बिना सही जानकारी के इस्लाम की इस पवित्र एंव कल्याणकारी उपासना के सम्बन्ध में निंसकोच अनुचित टीका-टिप्पणी तक कर दी जाती है।
कुछ लोगों को इससे नींद में खलल पड़ती है। हालांकि अज़ान 2से 5 मिनट में खत्म भी हो जाती है। बहुत से लोग अज्ञानतावश यह समझते हैं कि अज़ान में अकबर बादशाह को पुकारा जाता है। आज बहुत सी समस्याओं का मूल कारण एक-दूसरे के बारे में सही जानकारी का न होना है। अधिक संसाधन उपलब्ध होते हुए भी हम सभ्य और शिक्षित कहे जाने वाले लोग परस्पर एक-दूसरे के सम्बन्ध में अनजान ही बने हुए हैं।
कई बार गांवों में जाने का इत्तिफ़ाक़ होता है भौर होते ही मंदिरों से भजनों की आवाज़ आती है। कुछ भजन तो इतने अच्छे ईश्वर की वंदना पर आधारित होते हैं। जो कानों में रस घोल देते हैं। कुछ मुस्लिमों को उस में इस लिए दिलचस्पी नहीं होती कि यह हिन्दुओं के लिए हैं । और हिन्दुओं के मंदिर से गाये जा रहे हैं। हम भाषाओं में ऐसे बंट गये और बांट दिये गये कि भाषा जो कि एक दूसरे के भाव विचार को समझने समझाने का माध्यम परमात्मा ने बनाया था। उस पर अंधकार और अज्ञानता के परदे पड़ गये।
सही जानकारी का न होना और द्वेष के कारण ऐसा भी होता है कि मनुष्य ऐसी बातों का दुश्मन होजाता है जो वास्तव में उस के फायदे की है।एक बार मैं एक मस्जिद में नमाज़ अदा करने के लिए दाखि़ल हुआ एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति मेरा हाथ पकड़ कर एक बोर्ड के पास ले गये और बड़ी हैरत से कहने लगे कि डॉ साहब! ये देखो दुआ का तर्जुमा हिन्दी में"?
मैंने कहा :बुज़ुर्गवार हिन्दी भी अल्लाह की ज़बान है। दुनिया में जितनी भी ज़बानें हैं सब अल्लाह की हैं तब जाकर उन्हें इत्मीनान हुआ। ऐसा ही कुछ इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के साथ हुआ और हो रहा है। कुछ हिन्दू भाई यह समझते हैं कि खुदा अल्लाह मुसलमानों का है जबकि यह एक भ्रम है ग़लतफ़हमी है।
ईश्वर को अरबी भाषा में अल्लाह, फारसी में खुदा, इंग्लिश में गाड, पंजाबी में वाहेगुरु संस्कृत में ईश्वर जिनके पर्यायवाची परमात्मा, परमेश्वर, प्रभू आदि बोला जाता है परन्तु हम भाषाओं के पक्षपात में हमारे अंदर संकीर्णता आगई जिससे इंसानियत एक मां-बाप की औलाद होते हुए विभिन्न सम्प्रदायों जातियों में विभाजित हो गई। आवश्यकता है कि हम परस्पर सम्मान करते हुए एक-दूसरे को जानें समझें!
- आईये जानें अज़ान का अर्थ :
दिन में पांच बार नमाज़ से पहले अज़ान दी जाती है जिसका अर्थ है लोगों को नमाज़ के लिए बुलाना।
अज़ान और उस के मंगलकारी बोल और उन का अर्थ - - ----------
- अल्लाहु अकबर। अल्लाहु अकबर।
- "ईश्वर ही महान है। ईश्वर ही महान है"।
- अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लललाह,
- अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लललाह,
- "मैं साक्षी हूँ कि ईश्वर के सिवा कोई प्रभू पूज्य नहीं है। "
- मैं साक्षी हूँ कि ईश्वर के सिवा कोई प्रभू पूज्य नहीं।"
- अश्हदु अन-न मुहम्मदुरर्सूलुल्लाह।
- अश्हदु अन न मुहम्मदुरर्सूलुल्लाह।
- मैं साक्षी हूँ कि मुहम्मद ईश्वर के सन्देष्टा हैं।
- मैं साक्षी हूं कि मुहम्मद ईश्वर के सन्देष्टा हैं।
- हय-य अलस्सलाह।
- हय-य अलस्सलाह ।
- "आओ नमाज़ की ओर।
- आओ नमाज़ की ओर। "
- हय-य अलल फ़लाह ।
- हय-य अलल फ़लाह।
- " आओ सफलता और कल्याण की ओर
- आओ सफलता और कल्याण की ओर। "
- अल्लाहु अकबर। अल्लाहु अकबर।
- " ईश्वर ही महान है ईश्वर ही महान है। "
- ला इला ह इल्लललाह
- " ईश्वर के सिवा कोई प्रभू पूज्य नहीं।
- नोट: सूर्योदय से पूर्व की नमाज़ के लिए जो अज़ान दी जाती है यह बोल भी शामिल किये जाते हैं:
- अस्सलातु ख़ैरुम्मिन्ननौम,
- अस्सलातु ख़ैरुम्मिन्ननौम,
- "नमाज़ नींद से उत्तम है।
- नमाज़ नींद से उत्तम।
(इस में कुछ हिस्सा मौलाना नसीम गाज़ी साहब की किताब अज़ान और नमाज़ से भी लिया गया है)
Article : Shadab Husain
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