Skip to main content

बचपन से पड़ रहे थे मिर्गी के दौरे मेदान्ता लखनऊ के डॉक्टरों ने कठिन सर्जरी से की जिन्दगी आसान

बचपन से पड़ रहे थे मिर्गी के दौरे मेदान्ता लखनऊ के डॉक्टरों ने कठिन सर्जरी से की जिन्दगी आसान

लखनऊ, 8 फरवरी 2021: वर्ल्ड एपिलेप्सी डे के ठीक पहले मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टरों की टीम ने एक 19 वर्षीया किशोरी को मिर्गी के दौरों से निजात दिला दी। 

मिर्गी  से पीड़ित किशोरी का सफल ऑपरेशन करने वाले मेदांता में इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइंसेज में एसोसिएट डायरेक्टर न्यूरो सर्जरी, डॉ रवि शंकर ने बताया कि, "मरीज़ बचपन से ही मिर्गी से पीड़ित थी। अक्सर पड़ने वाले मिर्गी के दौरों का प्रभाव उसके शरीर और मन, मस्तिष्क पर बहुत नकरात्मक पड़ा था। उसे दवाइयों के सहारे अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था।  वह बार-बार बेहोश होने और गिरने की परेशानी से जूझ रही थी।  इसके चलते किसी न किसी परिजन को उसकी निगरानी करनी पडती थी। यह मरीज और परिवार दोनों के लिए बहुत कष्टकारी दौर रहा।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मिर्गी के मरीज के परिजन अज्ञानता की वजह से मिर्गी से जुडी भ्रांतियों पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं और सही इलाज न करा कई बार बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंस जाते हैं।  ऐसे में मरीज न केवल शारीरिक और मानसिक यंत्रणा से गुजरता है बल्कि कई बार वह समाज से पूर्णतया अलग-थलग पड़ जाता है।

मेदांता लखनऊ के इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसइनेस के न्यूरोलॉजी डायरेक्टर, डॉ अनूप कुमार ठक्कर ने मिर्गी के रोगियों के बारे में बताते हुए कहा कि, "दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसदी मरीज अकेले भारत में हैं।  दुनिया भर में मिर्गी के मरीजों की संख्या लगभग सात करोड़ हैं और उनमें से तकरीबन सवा करोड़ अकेले भारत में हैं। इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद सही जानकारी न होने के चलते मिर्गी के ज्यादार मरीजों को सही उपचार नहीं मिल पाता। 90 फीसदी मिर्गी के मर्रेजों का इलाज सही दवाइयों से हो जाता है लेकिन 10 फीसदी मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। सर्जरी के लिए भी काफी उन्नत किस्म की विशेषज्ञता और उपकरणों की आवश्यकता पडती है। सर्जरी के बाद मरीज को दवाइयां लेने की जरूरत ना के बराबर या बिलकुल भी नहीं रह जाती।"

मेदांता लखनऊ के इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसइनेस के सीनियर कंसलटेंट, डॉ ऋत्विज बिहारी ने मिर्गी के रोगियों के साथ बरती जाने वाले सावधानियों के बारे में बताते हुए कहा कि, "जब मरीज को दौरा पड़ रहा हो तो उसके हाथ-पैर को पकड़ने की कोशिश बिलकुल न करें क्योंकि दौरे के समय लगने वाले झटके बहुत शक्तिशाली होते हैं और ऐसे में हाथ-पैर पकड़ कर झटके रोकने की कोशिश में मरीज़ को चोट लग सकती है। दौरे के समय मरीज़ को करवट के बल लिटा दें, इससे मुंह में जो झाग बन रहा है वो सीधे बाहर गिरेगा और सांस की नाली जा कर खतरा नहीं पैदा करने पाएगा। दौरे के समय मरीज अपना जबड़ा भीं चबाने लगता है, इसलिए कोई सुरक्षित चीज उसके दांतों के बीच रख दें ताकि मरीज़ अपनी जुबान को क्षति न पहुंचाने पाए।  भूलकर भी मरीज को जूते, चप्पल सूंघने जैसे उपाय न करें। दौरे के समय मरीज कुछ भी निगलने की स्थिति में नहीं होता, इसलिए ज़बरदस्ती उसके मुंह में दवा या पानी डालने की ज़बरदस्ती न करें। दौरा रुकते ही मरीज को फौरान डॉक्टर के पास ले जाएं।

डॉ रवि शंकर ने बताया कि पुरे देश में कुछ ही चिकित्सा संस्थानो में ये सुविधा उपलब्ध हैं।  इनमे से एक मेदांता लखनऊ है। मेदांता ग्रुप के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन,  मेदांता लखनऊ के डायरेक्टर डॉ राकेश कपूर का उन पर उनकी टीम पर भरोसा जताने, निरंतर उत्साहवर्धन और प्रेरणा स्रोत बने रहने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस सफल सर्जरी के लिए न्यूरोलोजी विभाग की अपनी टीम में शामिल डॉ ए के ठक्कर,  डॉ प्रमोद,  डॉ सतीश,  डॉ अमितेश,  डॉ शैलेश सहित सर्जरी में सहयोग करने वाले पैरा-मेडिक स्टाफ और ओटी टेक्नी शियंस को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि एपिलेप्सी यानि मिर्गी की सर्जरी एक जटिल प्रक्रिया है और एक संगठित और कुशल टीम ही इसको सफलता पूर्वक अंजाम दे सकती है और उनके सीनियर्स और जूनियर्स ने इस टीम वर्क को बखूबी निभाया और मरीज को एक नई जिन्दगी दी है।

Comments

Popular posts from this blog

आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है!

-आध्यात्मिक लेख  आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का किया ऐलान जानिए किन मांगों को लेकर चल रहा है प्रदर्शन लखनऊ 2 जनवरी 2024 लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार और कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का भी है किया ऐलान इनकी मांगे इस प्रकार है पुनरीक्षित वेतनमान-5200 से 20200 ग्रेड पे- 1800 2- स्थायीकरण व पदोन्नति (ए.सी.पी. का लाभ), सा वेतन चिकित्सा अवकाश, मृत आश्रित परिवार को सेवा का लाभ।, सी.पी. एफ, खाता खोलना।,  दीपावली बोनस ।

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन  लखनऊ। आईसीएआई ने आज गोमतीनगर स्थित आईसीएआई भवम में इन्टरनेशनल वूमेन्स डे का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन, मोटो साॅन्ग, राष्ट्रगान व सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। शुभारम्भ के अवसर पर शाखा के सभापति सीए. सन्तोष मिश्रा ने सभी मेम्बर्स का स्वागत किया एवं प्रोग्राम की थीम ‘‘एक्सिलेन्स / 360 डिग्री’’ का विस्तृत वर्णन किया। नृत्य, गायन, नाटक मंचन, कविता एवं शायरी का प्रस्तुतीकरण सीए. इन्स्टीट्यूट की महिला मेम्बर्स द्वारा किया गया। इस अवसर पर के.जी.एम.यू की सायकाॅयट्रिक नर्सिंग डिपार्टमेन्ट की अधिकारी  देब्लीना राॅय ने ‘‘मेन्टल हेल्थ आफ वर्किंग वूमेन’’ के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में लखनऊ शाखा के  उपसभापति एवं कोषाध्यक्ष सीए. अनुराग पाण्डेय, सचिव सीए. अन्शुल अग्रवाल, पूर्व सभापति सीए, आशीष कुमार पाठक एवं सीए. आर. एल. बाजपेई सहित शहर के लगभग 150 सीए सदस्यों ने भाग लिय।