उत्तर प्रदेश में समाज के कमजोर वर्गो, किसानों, बुनकरों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया उपेक्षा और संवेदनशून्यता का है - अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश में समाज के कमजोर वर्गो, किसानों, बुनकरों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया उपेक्षा और संवेदनशून्यता का है - अखिलेश यादव
दिनांकः-05.09.2020
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में समाज के कमजोर वर्गो, किसानों, बुनकरों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया उपेक्षा और संवेदनशून्यता का है। पता नहीं क्यों भाजपा जनहित पर ध्यान देने के बजाए जनता को उत्पीड़न का शिकार बनाने में ज्यादा रूचि लेती है। सत्ता में आए साढ़े तीन साल बीत गए जनता को कल्याण की एक भी योजना वह लागू नही कर पाई बस पूरे समय तक वह समाजवादी सरकार के अच्छे कामों को नकारने और दिखावे में उन्हें अपना बताने की कवायद ही करती रही है। उस समय के अच्छे निर्णयों को उलटने और बनी बनाई व्यवस्था को बिगाड़ने की ही उसकी नीयत रही है।
समाजवादी सरकार ने अपने कार्यकाल में बुनकरों के कल्याण और उनकी आर्थिक मजबूती के लिए बिजली फ्लैट रेट पर देने का निर्णय लिया था। बुनकर इस व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे थे। भाजपा सरकार को बुनकरों को मिल रही यह सुविधा पसंद नहीं आई। उसने जनवरी 2020 से यह सुविधा ही खत्म कर दी। नए वर्ष पर लोग सुख-समृृद्धि की कामना करते हैं, भाजपा ने नववर्ष के पहले दिन से ही बुनकरों की खुशियां छीन ली। बुनकरों में जब इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई तो 31 जुलाई तक फ्लैट रेट पर बिजली देने का फैसला तो सुना दिया लेकिन भाजपा की मंशा कुछ अच्छी नहीं लगती है। उसने 1 अगस्त 2020 से नई व्यवस्था करने का इरादा भी जता दिया है। हैंडलूम, पावरलूम के अच्छे खासे व्यवसाय को चैपट करने में भाजपा की सक्रियता निहायत घटिया मानसिकता का प्रदर्शन है। बुनकरों को पुराने बकाये के नाम पर आज भी प्रताड़ित किया जा रहा है। भाजपा अपने आरएसएस एजेंडा के तहत ऐसा कर रही है।
अब तक एक यूनिट भी बिजली उत्पादन न करने वाली भाजपा सरकार को जनसामान्य को किसी न किसी तरह परेशान करने में विशेष आनंद आता है। और कुछ नही तो पावर कारपोरेशन ने बिजली दरों में स्लैब परिवर्तन का ही इरादा कर लिया है। पहले उनके प्रयास सफल नहीं हुए तो अब नए सिरे से बिजली दरें बढ़ाने की साजिशें की जा रही है। 4 किलोवाट का बिजली का फिक्स चार्ज अबतक 330 रूपए प्रतिमाह था भाजपा सरकार के इशारे पर पावर कारपोरेशन अब इसे 360 रूपए करने का प्रस्ताव ले आया है। यह उपभोक्ताओ के साथ धोखा है।
जनता के साथ भाजपा सरकार ने स्मार्ट मीटर के नाम पर भी खेल किया। इसकी खरीद में तो घोटाला हुआ ही, इसकी गुणवत्ता पर भी संदेश है। मुख्यमंत्री जी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की बात करते है पर स्मार्ट मीटर से स्पीड जम्पिंग के जरिए उपभोक्ताओं की खुली लूट पर रोक लगाने में किसी ने दिलचस्पी नहीं ली। समाजवादी पार्टी ने वर्तमान नाजुक हालात में आर्थिक कठिनाइयों में गुजर रहे उपभोक्ताओं के 6 माह के बिजली बिल माफ करने और किसानो के ट््यूबवेलो से सभी प्रकार के मीटर हटाकर पहले की तरह ही व्यवस्था बहाली की मांग की है। समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में बिजली उपभोक्ताओं को कई सुविधाएं दी थी। समय से पर्याप्त बिजली आपूर्ति और त्वरित समाधान होता था। भाजपा राज में बिजली से कई मौतें हो रही है। भाजपा जनता को सिर्फ बदहाली, तबाही ही दे सकती है।
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