हसन व हुसैन रजि0 जन्नत में नौजवानों के सरदार हैं : मौलाना खालिद रशीद
- दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल में आन लाइन जलसों का सिलसिला जारी
लखनऊ, 29 अगस्त।
इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल के अन्र्तगत दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल की जामा मस्जिद ईदगाह लखनऊ में 10 दिवसीय ‘‘शुहादा-ए-दीन-हक व इस्लाह-ए-मुआशरा’’ के जलसों का सिलसिला आॅन लाइन हो रहे है। कोविड-19 के प्रोटोकाल को देखते हुए किसी भी प्रकार की भीड़ को जमा करना मना है।
नवें जलसे को सम्बोधित करते हुए इमाम ईदगाह व काजी-ए-शहर लखनऊ मौलाना खालि दशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ने कहा कि नबी पाक सल्ल0 के नवासे हजरत हुसैन का रुतबा और मरतबे का अंदाजा इस बात से किया जा सकता है कि नबी पाक सल्ल0 ने फरमाया ‘‘हसन व हुसैन रजि0 जन्नत में नौजवानों के सरदार हैं।
उन्होने कहा कि मुसलमान अच्छी तरह जानता है कि नबी पाक सल्ल के नवासे हजरत इमाम हुसैन रजि0 जब देखा कि दीन की बुनियादी चीजों में बदलाव होने लगा है तो वह किस तरह बेचैन हो गए और बेचैनी इतनी बढ़ी कि उसकी निशानदही के लिए सब कुछ लुटा दिया। यही वजह है कि हजरत हुसैन हक़ का निशान बनकर उभरे।
मौलाना ने कहा कि इस्लाम के दुश्मनों ने उनको नुकसान पहंुचाने की विशैषतौर पर दो तरह से कोशिशें की हैं। एक खुले तौर पर दुश्मनी और दूसरे दोस्ती के परदे में दुश्मनी की। जिसको मुनाफिकत कहते हैं। यह कहना कठिन है कि इस्लाम को खुले दुश्मनों ने ज्यादा नुकसान पहंुचाया या मुनाफिकों ने। हजरत हुसैन को भी दोनों तरह के दुश्मनों ने नुकसान पहंुचाया।
जलसे का आरम्भ कारी मुबारक हुसैन की तिलावत कलाम पाक से हुआ।
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