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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश को सफलता की नई ऊंचाईयों तक ले जायेगी -डाॅ0 सतीश चन्द्र द्विवेदी

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश को सफलता की नई ऊंचाईयों तक ले जायेगी -डाॅ0 सतीश चन्द्र द्विवेदी



  • बेसिक शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का गर्मजोशी से किया स्वागत 


लखनऊ दिनांक: 31 जुलाई, 2020


उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 सतीश चन्द्र द्विवेदी ने भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श के उपरान्त भारत सरकार को कतिपय सुझाव भेजे गये थे जिन्हें भारत सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है। उन्होंने इसके लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया हैं। उन्होंने आशा व्यक्त किया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा में सफलता की ऊँचाइयों तक ले जायेगी।


डाॅ0 द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित विभिन्न आयामों पर उत्तर प्रदेश में पूर्व से ही कार्य किया जा रहा है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न घटकों की कार्ययोजना के अनुसार है। उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष ‘स्कूल चलो अभियान‘ व्यापक स्तर पर संचालित करते हुए 06-14 आयुवर्ग के शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं के नामांकन का लक्ष्य पूर्ण कर लिया गया है।


बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बुनियादी शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया गया है और इस हेतु National Mission for Foundation Literacy & Numeracy की घोषणा की गयी है, जो स्वागत योग्य है। इस संबंध में उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दिनांक 04 सितम्बर, 2019 को माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘प्रेरणा मिशन‘ का शुभारम्भ किया गया था जिसके अन्तर्गत प्रेरणा लक्ष्य निर्धारित किये गये। मिशन प्रेरणा में बुनियादी शिक्षा, उपचारात्मक शिक्षा तथा शैक्षणिक सामग्री पर प्रदेश में विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। इस दिशा में शिक्षकों के उपयोगार्थ आधारशिला माड्यूल, ध्यानाकर्षण माड्यूल तथा शिक्षण संग्रह माड्यूल शिक्षाविदों की सहायता से तैयार किये गये हैं और सभी शिक्षकों को उपयोगार्थ उपलब्ध कराये जा रहे हैं।


डाॅ0 द्विवेदी ने बताया कि इसके अतिरिक्त छात्र-छात्राओं के उपयोगार्थ ग्रेेडेड बुक्स, रीडिंग बुक्स, लाइब्रेरी बुक्स, खेलकूद साजसज्जा आदि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश मंे छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स में सुधार हेतु विशेष बल दिया जा रहा है। छात्र-छात्राओं के उपलब्धि स्तर के आंकलन हेतु त्रैमासिक परीक्षाएं आयोजित करायी गयी हैं। प्रेरणा लक्ष्यों के सापेक्ष कक्षावार एवं विषयवार छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स की प्रगति का अनुश्रवण करने हेतु प्रेरणा तालिकाएं सभी कक्षा-कक्षों में चस्पा कराई जा रही हैं।


बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि त्रैमासिक परीक्षाओं में प्राप्त परिणामों के आधार पर प्रत्येक छात्र-छात्रा को रिपोर्ट कार्ड वितरित किया जा रहा है और छात्र-छात्रा की प्रगतिअभिभावकों से साझा की गयी है। शैक्षिक रूप से पिछड़ रहे छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स में वृद्धि लाने हेतु रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था की गयी है और इस हेतु विद्यालय के समय-सारिणी में उपचारात्मक शिक्षण पीरियड सम्मिलित किया गया है। छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स के स्वतंत्र आंकलन हेतु थर्ड पार्टी एसेसमेन्ट की व्यवस्था भी की गयी है।


श्री द्विवेदी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस संबंध में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए लर्निंग आउटकम्स निर्धारित किये जा चुके हैं। समग्र शिक्षा द्वारा आई0सी0डी0एस0 से विचार-विमर्श कर ‘पहल‘ पुस्तिका विकसित की गयी है। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी केन्द्रों की कार्यकत्रियों एवं विद्यालय के प्रधानाध्यापक के लिए प्रशिक्षण आयोजित कराने की कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। इसी श्रृंखला में इस वर्ष लर्निंग किट्स तैयार करने की कार्ययोजना है। इन सभी घटकों के आधार पर प्रदेश में बच्चों के लिए ‘स्कूल रेडीनेस‘ की कार्ययोजना को अन्तिम रूप दिया जा रहा है।


डाॅ0 द्विवेदी यह भी बताया कि 06-14 वर्ष के आउट आॅफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने हेतु प्रदेश में ‘शारदा‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। आउट आॅफ स्कूल बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाकर उन्हें छः माह का विशेष प्रशिक्षण देकर उनके स्तर के अनुरूप विद्यालय की उपयुक्त कक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जायेगा। इन बच्चों के संबंध में विभिन्न सूचनाएं प्राप्त करने तथा बच्चों की ट्रैकिंग करने हेतु ‘शारदा पोर्टल‘ विकसित करते हुए क्रियाशील बनाया गया है। दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा हेतु राज्य सरकार द्वारा विस्तृत गाइडलाइन्स जारी की गयी हैं, जिनके तहत ‘समर्थ‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चों को चिन्हित कर आर0बी0एस0के0 के सहयोग से उनका चिकित्सीय परीक्षण तथा विद्यालयों में नामांकित कराये जाने की कार्यवाही प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।


डाॅ0 द्विवेदी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1-8 मेंएन0सी0ई0आर0टी0 का पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकें लागू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा चुका है और इस दिशा में चरणबद्ध रूप में छात्र-छात्राओं के लिए एन0सी0ई0आर0टी0 की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अन्तर्गत टेक्नोलाॅजी को अपनाये जाने पर बल दिया गया है। प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग इस दिशा में पूर्व से ही अग्रसर है। ‘दीक्षा पोर्टल‘ पर उत्कृष्ट कोटि की विषय-वस्तु उपलब्ध करायी गयी है जिसका प्रयोग शिक्षक कक्षा-शिक्षण के दौरान कर रहे हैं जिससे पठन-पाठन हेतु रूचिकर वातावरण सृजित हुआ है। सभी शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं (Rote learning) सुगम करने हेतु दूरदर्शन एवं रेडियो पर शिक्षण कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं।


डाॅ0 द्विवेदी ने बताया कि रटने वाली शिक्षा Coherent Access  को कम करने हेतु Interactive Learning Classes तथा Experiential Learning को बढ़ावा दिया जा रहा है। बुनियादी शिक्षा के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं के लिए भाषा एवं गणित पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीचर एजुकेशन का स्तर एवं व्यवस्था में सुधार हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विशेष बल दिया गया है जो स्वागत योग्य है। टी0ई0टी0 (Teacher Eligibility Test) की व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है जिससे योग्य अध्यापक उपलब्ध हो सकें। इसके अतिरिक्त शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों का सुदृढ़ीकरण भी किया जा रहा है ताकि सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में National Mission For Mentoring का प्रावधान किया गया है जो सवर्था स्वागत योग्य है।


बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि जेण्डर एजुकेशन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रदेश में 350 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का कक्षा-12 तक उच्चीकरण किया जा रहा है जिससे कमजोर वर्गों की बालिकाओं को कक्षा-12 तक की निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में Gender Inclusion Fund  स्थापित करने की घोषणा की गयी है जो स्वागत योग्य कदम है। पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकों में जेण्डर सेन्सिविटी पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन घटकों के फलस्वरूप जेण्डर गैप की समस्या का निवारण अवश्य ही सम्भव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि विज्ञान तथा अन्य क्षेत्रों में भारत की प्रेरणादायक विभूतियों के संबंध में वीडियो डाक्यूमेट्री तैयार करायी जायेंगी। सभी छात्र-छात्राओं को पारम्परिक भारतीय मूल्यों तथा मानवीय एवं संवैधानिक मूल्यों की शिक्षा दी जायेगी। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता, आपदा प्रबन्धन को भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जायेगा।


डाॅ0 द्विवेदी ने बताया कि निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित गैर-अनुदानित स्वतंत्र विद्यालयों द्वारा छात्र-छात्राओं से लिये जाने वाले शुल्क के विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 पारित करते हुए लागू किया जा चुका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार द्वारा जो भी सुधारात्मक कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं उन सभी में राज्य सरकार संकल्पबद्ध होकर कार्य करने के लिए तैयार है जिसके फलस्वरूप आगामी वर्षों में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य के रूप में उभरकर आयेगा।


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