अमेरिकी विश्वविद्यालयों द्वारा सी.एम.एस. छात्र को 92,000 एवं 72,000 अमेरिकी डालर की स्कॉलरशिप
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) के मेधावी छात्र रूद्रांश गोयल को उच्चशिक्षा हेतु अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने स्कॉलरशिप की पेशकश की है। अमेरिका की सेंट लुईस यूनिवर्सिटी ने चार वर्षीय उच्चशिक्षा अवधि हेतु रूद्रांश को 92,000 अमेरिकी डालर की स्कॉलरशिप से नवाजा है, तो वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर ने 72,000 अमेरिकी डालर की स्कॉलरशिप से नवाजा हैइसके अलावा, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा ने इस मेधावी छात्र को 48,000 अमेरिकी डालर की स्कॉलरशिप से नवाजा है जबकि अमेरिका के चार और विश्वविद्यालयों ने भी इस मेधावी छात्र को उच्चशिक्षा का आमन्त्रण दिया है, जिनमें यूनिवर्सिटी ऑफ पैसिफिक, यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोईस, कोलाराडो स्टेट यूनिवर्सिटी एवं लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी शामिल हैइस प्रकार, सी.एम.एस. के एक और होनहार छात्र ने अपनी लगन, प्रतिभा व शैक्षणिक उत्कृष्टता के दम पर उच्चशिक्षा हेतु विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप के साथ चयनित होकर विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने इस मेधावी छात्र की सफलता पर हार्दिक बधाई देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस वर्ष अभी तक सी.एम.एस. के 82 छात्रों ने अमेरिका, इंग्लैण्ड, कैनडा, आस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, जर्मनी आदि विभिन्न देशों के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में चयनित होकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिनमें से अधिकतर को स्कॉलरशिप प्राप्त हुई है। श्री शर्मा ने आगे कहा कि सी.एम.एस. छात्रों के दृष्टिकोण व्यापक बनाने व उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने हेतु सदैव प्रयासरत है और इसी कड़ी में छात्रों को भारत में एवं विदेशों में उच्चशिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान कर रहा हैसी.एम.एस. प्रदेश में एकमात्र एस.ए.टी. (सैट) एवं एडवान्स प्लेसमेन्ट (ए.पी.) टेस्ट सेन्टर है जो उत्तर प्रदेश एवं आसपास के अन्य राज्यों के छात्रों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर रहा है। इससे पहले, विदेश में उच्चशिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक प्रदेश के छात्रों को सैट परीक्षा के लिए दिल्ली जाना पड़ता था I
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