पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों का ‘हिंसक वाचन‘ एक भयावह स्थिति है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों का ‘हिंसक वाचन‘ एक भयावह स्थिति है।
लखनऊ I समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों का ‘हिंसक वाचन‘ एक भयावह स्थिति है। दुःखद स्थिति यह है कि निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल न केवल छुटभइये नेता कर रहे हैं अपितु भाजपा के मंत्री, मुख्यमंत्री भी वही भाषा बोल रहे हैं। ‘डंके की चोट पर‘ ‘बोली के बदले गोली‘ और ‘गोली मारो.......................‘ के साथ ही अब भाजपाई धुरंधर आजादी की लड़ाई के इतिहास को भी कलुषित करने में लग गए हैं। गांधी जी के नेतृत्व में जिस आजादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी उसे भाजपा के एक सांसद को अंग्रेजों की सहमति से नाटक बताते शर्म नहीं आई।
आज के सत्ताधारी जिस प्रकार समाज को नफरत से भर रहे हैं उसी का ये दुष्परिणाम है कि कुछ नौजवान असलहों के साथ साम्प्रदायिक उन्माद का प्रदर्शन करने लग गए हैं। राजनीति द्वारा पोषित इस घृणा से युवाओं में जो भटकाव आ रहा है, वह समाज और राष्ट्र की चिंता का विषय है। भाजपा-आरएसएस को इसके दुष्परिणामों से अभी से सबक लेना चाहिए।
दिल्ली के चुनावों में भाजपाई बदजुबानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। इससे साबित होता है कि भाजपा अपनी साख और जमीन दोनों खोती जा रही है। भाषा के स्तर में गिरावट राजनीति में घटिया सोच और संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है। माननीय उच्च न्यायालय और चुनाव आयोग को बिगड़े बोलों का संज्ञान लेकर तुरन्त दंण्डात्मक कार्यवाही करनी चाहिए।
जरूरी तो यह है कि जानबूझकर भड़काऊ बयान देने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों की संसद या विधानमंडल की सदस्यता रद्द करके इन पर सदैव के लिए प्रतिबंध लगाना चाहिए। साथ ही आगामी चुनावों में उन विषयों की सूची चुनाव आयोग को पहले से ही जारी करनी चाहिए जिन पर बोलने से दोषी की उम्मीदवारी रद्द हो जाए।
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