व्यापारी को घायल कर डेढ़ लाख की लूट, विरोध करने पर बदमाशों ने किया लहूलुहान
जौनपुर I आजमगढ़ । बेखौफ बाइक सवार बदमाशों ने रविवार रात लूट की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। तकादा कर लौट रहे कारोबारी को तमंचे से घायल कर डेढ़ लाख रुपये, स्कूटी, दो मोबाइल छीन लिए। घायल कारोबारी को पुलिस ने इलाज को जौनपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। एसपी सिटी पंकज पांडेय घटना स्थल पर पहुंचे थे। जौनपुर के गौराबादशाहपुर कस्बा के सत्य प्रकाश जायसवाल (48) वाशिंग पाउडर, मसाला, अगरबत्ती के कारोबारी हैं। रविवार को आजमगढ़ के लालगंज देवगांव तकादा करने आए थे। रात में आठ बजे लौटने के दौरान देवगांव जिवली मार्ग पर पुरसुडी मोड़ निकट बाइक सवार बदमाशों ने उन्हें रोक लिया। एक बदमाश ने उनकी कनपटी पर तमंचा सटाकर रुपये से भरा बैग छीनने लगा। विरोध करने पर बदमाशों ने उन्हें तमंचे से गोली चलाकर घायल कर दिया। कारोबारी के कमजोर पड़ते ही बदमाश बैग में भरे डेढ़ लाख रुपये, दो मोबाइल, स्कूटी छीनकर भाग निकले। भागने से पूर्व बदमाशों ने उन्हें खाईं में धक्का दे दिया। वारदात की भनक लगते ही डायल हंड्रेड पुलिस एवं बरदह थाने के इंस्पेक्टर प्रशांत श्रीवास्तव मौके पर जा पहुंचे। घायल कारोबारी को जौनपुर के जिला अस्पताल में इलाज को भेजा गया। पीड़ित व्यापारी वारदात के बाद दहशत में होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं बता पा रहा था। बदमाशों की संख्या दो होने एवं रुपये, स्कूटी, मोबाइल छीने जाने की पुष्टि की है। इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गोली लगने की मेडिकल रिपोर्ट में नहीं है। चोट मारपीट में लगने की संभावना है। सीसीटीवी फुटेज के जरिये वारदात की असलित जानने की कोशिश की जा रही है।
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते ...
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