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दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन का  उद्घाटन किया गया


दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन का  उद्घाटन किया गया


लखनऊ, भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर -आईआईटीआर) में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन (इन्टरनेशनल टॉक्सिकोलोजी कॉन्क्लेव) का बृहस्पतिवार, 05 दिसंबर, 2019 को उद्घाटन किया गया । सीएसआईआर -आईआईटीआर एक प्रमुख विषविज्ञान प्रयोगशाला है । इसकी स्थापना वर्ष 1965 में आदर्श वाक्य : “पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा उद्योग की सेवा” के साथ हुई थी। प्रत्येक वर्ष संस्थान के वार्षिक दिवस समारोह के एक भाग के रूप विषविज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। इस बार के सम्मेलन(2019) में विषविज्ञान के आला क्षेत्रों के निम्नलिखित विषयों पर अकादमी, उद्योग एवं नियामक निकायों के विशेषज्ञ विचार-विमर्श करेंगे:  भविष्य हेतु खाद्य सुरक्षा(फूड सेफ़्टी फॉर द फ्यूचर) विषविज्ञान एवं स्वास्थ्य में डाटा विज्ञान का आगम (इंफ्लक्स ऑफ डेटा साइंस इन ॉक्सिकोलोजी एंड हेल्थ)  प्रदूषण का उपशमन एवं इसके उपचार(अबेटिंग पल्यूशन एंड इट्स रिमीडीएशन) प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक, सीएसआईआर - भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर -आईआईटीआर) ने अपने संबोधन में आईटीसी की उत्पत्ति का वर्णन किया एवं कहा कि सीएसआईआर - आईआईटीआर ने अपनी पांच दशकों से अधिक की सेवा के दौरान उद्योग जगत की आकांक्षाओं को पूर्ण करने की दिशा में अथक प्रयास किया है और साथ ही समाज की सेवा भी किया है । कुछ समय पूर्व बृहत्तर उद्योग-अकादमिक पारस्परिक संपर्क के लिए एक आवश्यकता महसूस की गई थी और इस परिपेक्ष्य में 2015 में प्रथम विषविज्ञान सम्मेलन (इन्टरनेशनल टॉक्सिकोलोजी कॉन्क्लेव(आईटीसी) हुआ था। कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर प्रमोद टंडन, सीईओ, बायोटेक पार्क, लखनऊ ने इस तथ्य को दोहराया कि वर्तमान परिदृश्य की समस्याओं का सामना करने हेतु प्रदूषण कम करने एवं सुधारात्मक उपायों को विकसित करने के क्षेत्र में सीएसआईआर - आईआईटीआर की महत्वपूर्ण भूमिका है। आगामी पीढ़ियों हेतु खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित खाद्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु अनुसंधान संचालित करने की पहल समय की आवश्यकता है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, प्रोफेसर एसके बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने आईटीसी -2019 हेतु अत्यंत प्रासंगिक खाद्य तथा उपभोक्ता सुरक्षा समाधान (फ़ूड एंड कंज़्यूमर सेफ़्टी सल्यूशन (एफओसीयूएस) क्षेत्रों के आयोजकों को बधाई दी और कहा कि आज के दिन एवं डेटा चालित रणनीतियों के युग में डेटा विज्ञान के लाभ प्राप्त होते हैं।मानव स्वास्थ्य में सुधार हेतु यह महत्वपूर्ण है।


डॉ. डी परमार, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च ने सभा का स्वागत किया तथा डॉ.एन मनिक्कम, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर -आईआईटीआर एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति, आईटीसी -2019 ने धन्यवाद ज्ञाप्ति किया कॉन्क्लेव के प्रथम दिवस का पहला सत्र भविष्य हेतु खाद्य सुरक्षा(फूड सेफ़्टी फॉर द फ्यूचर)पर केंद्रित रहा। डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर - इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ने आधार व्याख्यान दिया उसके उपरांत कम्प्यूटेशनल गैस्ट्रोनॉमी पर व्याख्यान दिए गए । आईआईटी दिल्ली के डॉ. गणेश बैगलर ने लेवरेजिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर डेटा ड्राइवेन फूड इनोवेशन पर व्याख्यान दिया । श्री अनूप कुमार मिश्रा, रेकिट बेंकिज़र प्राइवेट लिमिटेड ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता पर व्याख्यान दिया एवं डॉ.एमकेआर मुडियम, सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीएसआईआर - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, हैदराबाद ने फूड मैनेजमेंट सिस्टम में नई विश्लेषणात्मक रणनीतियों के बारे में दर्शकों को अवगत कराया। डॉ. महजबीन खान, सीएसआईआर- केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर ने एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण खाद्य सुरक्षा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य हेतु खतरे पर वैज्ञानिकों को आगाह किया।उद्यमी फोरम ने केरोस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, न्यूट्रीपलेट इंडिया एवं डेलमोस रिसर्च कीसक्रिय भागीदारी देखी।


द्वितीय सत्र में विषाक्तता को कम करने एवं मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए डेटा और प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने के अति सूक्ष्म अंतर पर प्रकाश डाला गया। डॉ.सुब्रमण्यन, सीएसआईआर - सेंट्रल लेदर टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट, चेन्नई ने विषाक्तता की भविष्यवाणी हेतु मशीन लर्निंग रणनीतियों के लाभ पर प्रकाश डाला तथा डॉ.चक्रबर्ती, सीएसआईआर - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता ने बिग डेटा एवं एआई आधारित डायग्नोस्टिक एवं प्राग्नॉस्टिक टूल्स के बारे में अवगत कराया । इसके उपरांत डॉ. सी केशव चंद्रन, सीएसआईआर - आईआईटीआर द्वारा ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया एवं सुश्री अन्विता गुप्ता, एआईजी ईएन थेरेप्यूटिक्स ने औषधि की खोज में क्रांति लाने में एआई तथा डेटा विज्ञान की भूमिका का उल्लेख किया प्रत्येक सत्र के अंत में पैनल चर्चा में वैज्ञानिक प्रस्तुतियों से प्राप्त तथ्यों एवं प्रमुख कार्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया।


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