भेदिया निकला एआरटीओ का चालक, सिपाही सहित 19 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर
वाराणसी। टेंगरा मोड़-भीटी बाइपास पर एसटीएफ की कार्रवाई के दौरान हत्थे चढ़े गिरोह के सदस्यों ने संभागीय परिवहन विभाग के कर्मचारियों से मिली भगत कर अवैध वसूली के कई राज उगले है। इसके आधार पर एआरटीओ के निजी चालक और सिपाही सहित 19 लोगों के खिलाफ रविवार को स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। एक बार फिर इस खेल के पर्दाफाश होने से संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों पर शिकंजा कसे जाने का अनुमान है। इस कार्रवाई से पूरे महकमे में अफरा-तफरी का माहौल है। पूछताछ के दौरान पता चला कि भदोही से चित्रकूट बदली होने के बाद भी एआरटीओ का सिपाही सुमित राय तथा जौनपुर में तैनात सिपाही दीपक सिंह मोबाइल फोन से अवैध वसूली करने वाले गिरोह को सूचना देते रहते थे। इस काम में एआरटीओ अरुण राय के चालक जितेंद्र सिंह यादव तथा यात्रीकर अधिकारी केपी गुप्ता के निजी चालक इकबाल का भी नाम प्रकाश में आया है। जो अधिकारियों के मूवमेंट से पहले इसकी जानकारी साझा कर देते थे। बदले में वाहन स्वामी उन्हें मोटी रकम देता था। एआरटीओ (प्रवर्तन) एके राय ने कहा कि चालक की हरकतों को देखते हुए उसे हटा दिया गया है। चालक से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस की कार्रवाई में पूरा सहयोग किया जाएगा। हाइवे पर लोकेशन के सहारे ट्रकों को पास कराने के बारे में उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है।
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते ...
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