"गाये जा गाये जा और मुस्कुराए जा"
भोपाल। रवीन्द्र भवन के प्रतिष्ठत मंच में म्यूजिक शाला द्वारा प्रस्तुत म्यूजिकल कार्यक्रम "गाये जा गाये जा और मुस्कुराये जा" आयोजन किया गया। जिसमें शाला के २५ गायक कलाकारों द्वारा क़रीब ३० नगमों की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में मां सरस्वती का आवाह्न करते हुए दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम का आगाज़ शाला के परंपरागत गीत "सात सुरों के संगम से..... हम हैं म्यूजिक शाला" की सामूहिक प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद इवेंट के 'शीर्षक गीत' शाला के प्रमुख सदस्यों बृजेश रावत जी, राजेश कुशवाह जी एवं सीमा शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया।
इसके बाद तो एक से बढ़कर एक गीतों का ऐसा समा बंधा कि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जिन उल्लेखनीय 25 गायक कलाकारों ने 1970-80 के दशक के लता, किशोर, रफ़ी, मुकेश और महेंद्र कपूर साहब के सदाबहार नग़मों की प्रस्तुति दी उनमें विशिष्ट रूप से जोशी जी, अरविंद सिन्हा जी, दिवेदी जी, डॉ वेल्लूरी, कविता जी, डॉ श्रीवास्तव, शैलेश जी, राजेश शर्मा जी, शरद जी, छाया खरे, राकेश श्रीवास्तव जी, दिनेश जी, छाया खले जी, अमर खरे जी, नरेंद्र शर्मा जी, माधवी जी, राकेश खरे जी, ऋचा जी, स्मिता जी, एम के शर्मा जी, अंकित जी, शिल्पा जी, अल्पना जी, सुबोध जी एवं महाले जी हैं। जहाँ एक ओर 82 वर्ष के नरेंद्र शर्मा जी ने "मेरे पैरों में घुँघरू..." गीत गाया वही सबसे छोटी उम्र के वयस्क गायक अंकित जी ने" सियोनी, सियोनी...." गीत प्रस्तुत करके महफ़िल में चार चांद लगा दिए। शाला के बच्चे सिद्धेश, वेदांत और रिद्धि के गीतों में संगत सराहनीय रही।
इसके अलावा एक और भी गौरवान्वित करने वाला क्षण उस वक्त आया जब वर्षों से संगीत साधना में रत एवं विविध प्रतिभा के धनी आदरणीय बृजेश रावत जी द्वारा रचित, स्वरबद्ध व संगीबद्ध किए हुए गीत ' नदिया को बहना है ' का अनावरण प्रतिष्ठित मंच से किया गया। जिसे सुनकर दर्शक भावविभोर हो उठे। रात्रि 10 बजे तक चले इस कार्यक्रम में गीतों का समा कुछ ऐसा बंधा हुआ था कि हर गीत के बाद मंत्रमुग्ध दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से खचाखच भरे सभागार का कोना-कोना गुंजायमान हो उठता था। सभागार में उपस्थित हर चहरे की मुस्कुराहट इस म्यूजिकल इवेंट की सफलता की जीवंत साक्ष्य प्रतीत होती थी। कार्यक्रम का समापन सभी आगंतुकों, आयोजक समितियों, संगीतज्ञों, मंच व्यवस्था, ध्वनि व डिजिटलीकरण व मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग को म्यूजिक शाला द्वारा कोटि- कोटि धन्यवाद प्रेषित करने से हुआ।
देखें एक मधुर गीत
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