-आध्यात्मिक लेख
अवतारों के पास सुखी बनाने के लिए विचार, मार्गदर्शन तथा प्रेरणा का खजाना होता है!
(1) परमात्मा तथा उसके सेवक छुट्टी कर लें तो संसार में हाहाकार मच जाये :
परमात्मा ने जब से यह सृष्टि बनायी तभी से अपने सेवकों सूर्य, वायु आदि को अपने द्वारा रचित मानव जाति की सेवा के लिए नियुक्त किया। इस सृष्टि का रचनाकार परमात्मा कभी अवकाश नहीं लेता तथा उसके सेवक सूर्य अपनी किरणों के द्वारा संसार को रोशनी तथा ऊर्जा से भरने के लिए सदैव बिना थके अपना कार्य करता रहता है। वायु निरन्तर बहते हुए सभी को सांसों के द्वारा जीवन प्रदान करती है। परमात्मा तथा उसके सेवक किसी रविवार, पर्वो-त्यौहारों, गर्मी, सर्दी, बरसात आदि में भी छुट्टी नहीं करते हैं। वे संसारवासियों की सेवा में अनवरत लगे रहते हैंवैसे तो इन्हें छुट्टी लेने का अधिकार है लेकिन परमात्मा के सेवक सूर्य, वायु आदि-आदि इसलिए छुट्टी नहीं करते हैं कि उनके छुट्टी करने से धरती पर हाहाकार मच जायेगा।
(2) परमात्मा से हमें कर्तव्य मार्ग पर डट जाने की शक्ति प्राप्त होती है :
परमात्मा से प्रेरणा लेकर उनके अवतार भी जीवन पर्यन्त बिना छुट्टी लिए मानव जाति के उद्धार के लिए कार्य करते हैं। जब जब धर्म की हानि होती है तब तब परमात्मा मानव जाति के दुखों को दूर करके उनके जीवन में हर्ष, आनन्द, स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि भरने के लिए संसार के किसी पवित्रतम हृदय के एक मानव की आत्मा में अवतरित होता है। परमात्मा ने अपने संदेश वाहक के रूप में राम, कृष्ण, बुद्ध, अब्राहीम, मुसा, महावीर, जरस्थु, ईसा, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह को युग युग में अपने मानव कल्याण के कार्य के लिए चुना है।
(3) परमात्मा की शिक्षाओं पर चलने वाले ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित होते हैं :
इन अवतारों का जन्म भी मनुष्य की तरह संसार में किसी माँ की कोख से होता है। अवतारों का शरीर भी मनुष्य की तरह ही हाड़-मांस के बने होते हैं तथा इनकी देह भी नाशवान होती है। वे जीवन पर्यन्त परमात्मा की इच्छा के लिए जीते हुए भौतिक शरीर को त्याग कर परमात्मा के लोक में चले जाते हैं। अवतारों की एकमात्र इच्छा परमात्मा का सेवक बनकर दुखों तथा कष्टों से घिरी मानव जाति को कल्याण, विकास, प्रकाश, ज्ञान तथा मुक्ति की राह दिखाना होता हैये अवतार अपनी मजबूत आत्मा के बल से भारी कष्ट उठाकर मानव जाति के जीवन में अपनी शिक्षाओं के द्वारा सुख, समृद्धि, यश तथा आनन्द भरकर जीवन यात्रा को सफल बनाते हैं। अवतारों के पास मानव जाति को सुखी बनाने के लिए विचार, मार्गदर्शन तथा प्रेरणा का खजाना होता है।
(4) परमात्मा के द्वारा नियुक्त सभी अवतारों ने मानव जाति के जीवन को सुखी बनाने के लिए कार्य किया और कभी भी छुट्टी नहीं ली :
राम ने 14 वर्षों का वनवास संसारवासियों के जीवन को मर्यादित करने के लिए सहर्ष स्वीकार किया। कृष्ण ने बाल्यावस्था से ही सम्पूर्ण जीवन पर्यन्त बिना कोई छुट्टी लिए संसार में न्याय की स्थापना के लिए अनवरत संघर्ष किया। महात्मा बुद्ध मानव जाति के दुखों के निवारण के लिए महलों का सुख छोड़कर निकल पड़े। बुद्ध ने समता की सीख देने के लिए हजारों कि.मी की पैदल यात्राएं कीवट वृक्ष के नीचे उनको तत्व ज्ञान प्राप्त हुआ। ईशु ने मानव जाति के कठोर हृदय में करूणा का सागर बहाने के लिए सूली पर अपने जीवन का बलिदान कर दिया। मोहम्मद साहब ने 13 वर्षों तक बर्बर कबीलों के अत्याचारों से मानव जाति की मुक्ति के लिए अनवरत संघर्ष कियामोहम्मद ने कबीलों को आपस में भाईचारे के साथ मिल-जुलकर रहने की सीख दी। मोहम्मद साहब के पवित्र हृदय से 23 वर्षों तक एक एक करके पवित्र कुरान की आयतें मानव कल्याण के लिए नाजिल हुई। नानक ने संसार वासियों को सच्चे व पवित्र मन से त्याग करने को ही जीवन का सच्चा सौदा बतायाइस तरह नानक ने मानव जाति में त्याग का महत्व स्थापित किया। बहाउल्लाह ने राजा के तहखाने में स्थित कारावास में 40 वर्षों तक गले में लटकी मोटी-मोटी जंजीरों से बंधे रहकर, सीड़न, गंदगी तथा बदबू में रहते हुए अपार दुख सहे। परमात्मा की ओर से बहाउल्लाह को कारावास में ही मानव जाति की आज की सबसे बड़ी समस्या अनेकता का समाधान समस्त संसारवासियों के हृदय मिलकर एक हो जाये' के ज्ञान के रूप में प्राप्त हुआ। बहाउल्लाह चाहते तो राजा से क्षमा मांगकर कारावास से मुक्त हो सकते थे। लेकिन मानव जाति को अनेकता के बन्धनों से मुक्त कराने के लिए उन्होंने इन दुखों को सहर्ष सहा और जेल में ही स्वर्ग सिधार गये। सभी अवतारों ने परमात्मा को लोक कल्याण के रूप में पहचाना तथा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जीवन पर्यन्त बिना छुटी लिए लगे रहे।
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