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‘खुल के बोल‘


ब्रेकथ्रू के ओपेन माइक 'खुल के बोल 'में छात्र-छात्राओं  ने लैंगिक हिंसा के मुद्दे पर रखे अपने विचार |


सावी न्यूज़ लखनऊ।  लखनऊ,समाज में एक लड़के और लड़की को ले कर कई स्तर पर भेदभाव किया जाता है |यह भेदभाव समुदाय से ले कर हमारे स्कूल-कॉलेज तक में होता है और यही आगे चल कर हिंसा का रूप धारण कर लेता है | ऐसी ही कुछ बातें मानवाधिकार और महिला मुद्दों  के लिए काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था ब्रेकथ्रू द्वारा गोसाईगंज  स्थित शिशु मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित ओपेन माइक 'खुल के बोल' कार्यक्रम में कही गईं | इस कार्यक्रम में महिलाओं और लड़कियों  के साथ होने वाले भेदभाव और लैंगिक हिंसा के विषय पर युवाओं  ने अपने विचार रखे।कार्यक्रम का संचालन व समन्वय ब्रेकथ्रू के नदीम ने किया। 


ब्रेकथ्रू की सामुदायिक कार्यकर्ता (गोसाईगंज) हिना ने कहा कई बार देखने और सुनने में आता है कि महिलाओं और लड़कियों  को अपने परिवार में बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता है | यहाँ तक कि उन्हें अपने मूलभूत अधिकारों की बात करने पर भी उन्हें असमानता का सामना करना पड़ता है | यह असमनाता आगे चल कर लैंगिक हिंसा का रूप धारण कर लेती है | हिना ने बताया कि ज्यादातर लोग इन मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं क्योंकि वो इसे अपनी इज्ज़त और प्रतिष्ठा से भी जोड़ते हैं |


शिशु मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अजीत सिंह ने बताया कि कैसे अक्सर समाज एक लड़के और लड़की के बीच में भेदभाव रखता है | यही भेदभाव आगे चल कर हिंसा का रूप ले लेता है | यह हिंसा शारीरिक भी होती है और मानसिक भी | कई बार हिंसा को हम बहुत सामान्य ढ़ंग से लेते हैं और इससे सामने वाले के ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा यह ज़रा भी नहीं सोचते हैं | यही नहीं हम हिंसा पर बात करने से भी बचते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हिंसा से किसी के भी जीवन में सुधार लाया जा सकता है जो कि पूर्णत: गलत है |


कॉलेज के छात्रों  बबिता,महज़बी और वरदान  ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कई बार हम लैंगिक हिंसा के मसले पर अपने परिवार से तो बात कर लेते हैं और हम हिंसा का खुल के विरोध भी कर देते हैं लेकिन जैसे ही इस हिंसा के बारे में हमारे समुदाय में चर्चा शुरू होती है तो समाज कहने लगता है कि अगर लड़की को हिंसा के माध्यम से डरा कर नहीं रखोगे तो हाथ से निकल जाएगी | वरदान ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ जब उसने हिंसा की बात पर अपने परिवार से बात करने की कोशिश करी तो उसे चुप करा दिया गया और यह भी कहा गया कि समाज में हिंसा बहुत मामूली बात है |


समाजकार्य के छात्र अतुल और शांतनु  ने बताया कि कैसे हम समाज में हिंसा की घटनाओं को बहुत सामान्य ढ़ंग से लेते हैं और कई बार हम इस पर बात करने से कतराते हैं | हमें आज के माहौल में सबसे पहले खुद के भीतर साहस  लाने की ज़रूरत है ताकि हम हम किसी भी प्रकार की लैंगिक हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठा सकें और असामनता को बढ़ने से रोकें | यह असमानता उनके शिक्षा,स्वास्थ्य और सुरक्षा के अवसरों को काफ़ी कम कर देती है |


छात्रा सिमरन ने बताया कि बात करने से ही बात बनती है और अलग-अलग नहीं बल्कि साथ चल कर बात बनती है इसलिए ज़रूरत है सबको बराबरी का मौका देने की | जब सब को बराबरी के मौके मिलेंगे तो हिंसा की स्थितियाँ कम उत्पन्न होंगी और आगे चल कर यह समुदाय को और भी बेहतर बनाने में सहयोग देंगी | 


इस कार्यक्रम में काफ़ी संख्या में शिशु मंदिर इंटर कॉलेज के कई  छात्र और अध्यापक शामिल रहे |


ब्रेकथ्रू के बारे में –


ब्रेकथ्रू एक मानवाधिकार संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है।कला, मीडिया, लोकप्रिय संस्कृति और सामुदायिक भागेदारी से हम लोगों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसमें हर कोई सम्मान, समानता और न्याय के साथ रह सके।  हम मल्टीमीडिया अभियानों के माध्यम से मानवाधिकार से जुडें मुद्दों को मुख्य धारा में ला रहे हैं। इसे देश भर के समुदाय और व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक बना रहे हैं। इसके साथ ही हम युवाओं,सरकारी अधिकारियों और सामुदायिक समूहों को प्रशिक्षण भी देते हैं, जिससे एक नई ब्रेकथ्रू जेनरेशन सामने आए जो अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला सके।


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