पूरे परिवार को मार डाला
सावी न्यूज़ । आपको अवगत करा दें की अभी पांच छः दिन पहले वैज्ञानिक डॉ प्रकाश सिंह ने परिवार को मौत के घाट उतार कर खुद भी जान दी इस घटना की सूचना नौकरानी ने दी। गुरुग्राम की एक दवा कंपनी में पूर्व निदेशक व वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंह ने रविवार रात पत्नी और बेटे-बेटी की बर्बरता से हत्या कर खुद फांसी लगा ली। उन्होंने पहले हथौड़े से वार किया और फिर सभी का फरसे से गला काट दिया। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने परिवार संभालने में असमर्थता जताते हुए घटना के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है। सेक्टर-49 स्थित पॉश सोसाइटी उप्पल साउथएंड में रहने वाले डॉ. प्रकाश रघुनाथपुर (वाराणसी) के रहने वाले थे। वह दवा निर्माता कंपनी सन फार्मा में निदेशक थे। हालांकि करीब एक माह पहले उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। 20 दिनों बाद वे हैदराबाद की एक कंपनी में नई नौकरी शुरू करने वाले थे। सुसाइड नोट में परिवार संभालने में असमर्थता का जिक्र है जो समझ से परे है पुलिस उपायुक्त सुलोचना गजराज ने अवगत कराया की घटना के पीछे धन की तंगी का कोई सबूत नहीं प्राप्त हुए है । पुलिस जांच जारी है ।
एक और परिवार की हत्या
उक्त क्रम में गाजियाबाद में एक घटना प्रकाश में आई है की एक शराबी ने अपने पुरे हँसते खेलते परिवार को मौत के घाट उतार दिया और खुद भी अपनी जान दे दी। गाजियाबाद के शताब्दीपुरम गोविंदपुरम में शुक्रवार तड़के शराबी युवक ने तीन बेटियों और पत्नी की हत्या कर अपनी जान दे दी। युवक ने बेटियों के मुंह पर काला टेप चिपकाकर उनकी हत्या की, जबकि पत्नी के सिर पर हथौड़े से वार किया। इसके बाद खुद के मुंह पर भी टेप चिपकाकर जान दे दी। पुलिस को मिले सुसाइड नोट में युवक ने पत्नी के चरित्र पर शक जताया है।प्रदीप आयु लगभग 38 वर्ष व उसकी पत्नी संगीता आयु लगभग 36 शताब्दीपुरम में तीन बेटियों के साथ रहता था। संगीता नर्स थी। बेरोजगार प्रदीप नशे में पत्नी से झगड़ा करता था। शुक्रवार तड़के संगीता के चीखने पर पिता ने दरवाजा खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह बंद था। सूचना पर पहुंची पुलिस दरवाजा तोड़कर कमरे में घुसी तो प्रदीप और तीनों बेटियों के शव मिले वहीं संगीता ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया।
आज के वातावरण में न जाने कैसी वायु है की हत्याओं और आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है क्या इस वातावरण में मानसिक विकार जन्म ले रहे है, कही भीड़ द्वारा किसी पुरुष/स्त्री/युवती की पीट पीट कर हत्या की जा रही है कही आदमी स्वयं आत्महत्या किये ले रहा है तो कही खुद को मारने के साथ पूरे परिवार का भी खात्मा किये दे रहा है कही व्यक्ति या युवती प्रेम के चक्कर में जान दिए दे रहे हैं ऐसा लगता है की आजकल के वातावरण में जीवन का कोई मूल्य नहीं है । फिलहाल इस वक़्त ताबड़ तोड़ हत्याओं और आत्महत्याओं पर शोध की आवश्यकता है । हमारे नेताओं को अपनी राजनितिक रोटियां सेंकने से फुर्सत नहीं है ।
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