डिजिटल इण्डिया का सच
सावी न्यूज़ लखनऊ। यह सच है कि आज थोड़ी सी जानकारी रखने वाला व्यक्ति मोबाइल से लेन देन करने लगा है। तमाम जनता से जुड़े सरकारी काम डिजिटल हो गये हैं। यह बेहतर कार्य हुआ लेकिन क्या इसका लाभ लोग उठा पा रहे हैं। सरकार ने जनता की सेवा के हितार्थ जन सेवा केन्द्र स्थापित करवाये जहां लोगों को आय या जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा मामूली शुल्क देकर उनका काम हो जायेगा। लेकिन क्या यह हो रहा है...सच तो यह है कि बगैर सुविधा शुल्क दिए न जाति प्रमाण पत्र बनता है और न ही आय प्रमाण पत्रदरअसल होता यह है कि व्यक्ति लोकवाणी/जनसेवा केन्द्र जाता हैंवहां वह जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करवाता है और निर्धारित शुल्क देकर चला जाता है फिर कुछ समय बाद उसके आवेदन में कमिया बताई जाती हैं उसके लिए दौड़धूप कर खानापूर्ती करता है फिर प्रतीक्षा के बाद पुनः कोई प्रपत्र की कमी बताई जाती है इस तरह उसके अनेक चक्कर इन केन्द्रों पर लगाने पड़ते हैंजिसमें उनका काफी हर्जा खर्चा होता है लेकिन यह सब करने के उपरान्त भी उनका प्रमाण-पत्र नहीं बनता। जब व्यक्ति थक जाता है तो कुछ जुगाड़ की बात करता है तब कहीं उसका प्रमाण पत्र बनता है। सच बात यह है कि सम्बन्धित अधिकारी सुविधा शुल्क के बगैर अपनी रिपोर्ट नहीं लगाते। इस प्रकार एक जाति व आय प्रमाण पत्र बनवाने में दौड़ के अतिरिक्त 400-500 रुपये खर्च हो जाते हैं।
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