यह है सरकारी बाबुओं की मानसिकता
सावी न्यूज लखनऊ। आज के इस डिजिटल युग में व्यक्ति को सरकारी काम करवाने में पसीने आ जाते हैं। यह बाबू एक बार में किसी का कार्य करते ही नहीं जब तक उसके जूते न घिसवा लें या फिर पीड़ित के अक्रामक होने पर ही काम होता है। भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश नहीं लग पाया है सब जस का तस चल रहा है। हकीकत तो यह है कि डिजिटलाइजेशन युग में सुविधा शुल्क में इजाफा हुआ है।
सरकारी बाबूओं को इतना भारी वेतन मिलता है फिर भी कोई कार्य बिना सुविधा शुल्क के नहीं होता कब सुधरेंगे ये बाबू। ऎसा एक मामला लखनऊ विकास प्राधिकरण का आया है कि ठाकुरगंज लखनऊ निवासी अंकुर एलडीए में एक नक्शे के लिए काफी समय से चक्कर लगा रहा था अाखिरकार टाउन प्लानिंग विभाग में तैनात बाबू देशराज ने नक्शा उपलब्ध कराने के बदले 5000 रुपयों की पेशकश की। इस पर झल्लाए अंकर कुमार ने इसकी शिकायत एंटी करशन टीम को दी। एंटी करप्शन टीम ने तत्परता दिखाते हुए लखनऊ इकाई के निरीक्षक संजय सिंह के नेतृत्व में एक जाल बिछाया। पीड़ित अंकुर ने तय योजना के तहत बाबू देशराज को पांच हजार रुपये देने के लिए बाहर बुलाया। एलडीए का बाबू देशराज गेट के बाहर आया और रुपये देने का कहा इस पर अंकुर ने उसको एक लिफाफा दिया जिसमें रुपये थे। देशराज के रुपये जेब में रखते ही एंटी करप्शन टीम ने उसे दबोच लिया। रंगे हाथ पकड़े जाने पर देशराज के खिलाफ गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। बताते चले कि एलडीए में रिश्वत खेल बहुत पुराना हैयदि वहां के कर्मचारी व अधिकारियों की सम्पत्ती की पड़ताल की जाये तो सम्भवता सभी शिकंजे में होंगेहालांकि सिर्फ एलडीए ही नहीं वह सभी विभाग जहां जनता से जुड़े कार्य सम्पादित किए जाते हैं रिश्वत का नंगा खेल चलता है। इसके अनेक उदाहरण है।
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