सावी न्यूज़ लखनऊ।लखनऊ के अतिसुन्दर माने जाने वाले गोमतीनगर के होटल में सेक्स रैकेट का पर्दाफाश एक मुखबिर की सूचना पर हुआ मुखबिर पुलिस की रीढ़ माने जाते है इनकी सहायता से अनेक छोटे बड़े केश चुटकियों में हल कर लिए जाते है । यहाँ शुक्रवार को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 'द ग्रीन टाउन' होटल में छापेमारी की जहाँ सेक्स रैकेट चलता हुआ पाया गया। छापेमारी के दौरान दो युवतियों व एक युवक को गिरफ्तार किया है। जबकि सरगना समेत अन्य लोग फरार हो गए। अधिकारियों के मुताबिक पकड़ी गई लड़कियां कोलकाता की रहने वाली हैं। देह व्यापार का यह खेल प्राचीन काल से अलग अलग रूपों व नामों से प्रचलित रहा है इस व्यापार में कुछ महिलायें अपने परिवार का पेट पालने के लिए आती हैं तो कुछ अपने महंगे शौक पूरा करने के लिए आती है फिर इसके भंवर से निकल नहीं पाती हैं और यह इनकी नियति बन जाती है इनके एजेंट ग्राहकों से 10 से 25 हजार रुपये तक वसूलते थे जबकि वह उन्हें 25 से 50 हजार रुपये में एक महीने के लिए बुलवाते । इंस्पेक्टर गोमतीनगर राम सूरत सोनकर ने बताया कि द ग्रीन टाउन होटल का मालिक इलाहाबाद निवासी आलोक तिवारी है। होटल मैनेजर ने बताया कि बिल्डिंग लीज पर है। पकड़ी गई युवतियों ने ओयो के जरिए दो दिन पहले कमरों की बुकिंग की थी। पुलिस ने बाराबंकी के देवां निवासी विक्रांत सिंह और दोनों लड़कियों को गिरफ्तार किया है। विक्रांत ने पूछताछ में बताया कि गैंग का सरगना अलीगंज निवासी दीपेश पाण्डेय है। दीपेश के संपर्क में नेपाल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली व मुंबई की कई कॉल गर्ल्स हैं। अब सवाल यह उठता है की यह सामाजिक बुराई कब समाप्त होगी या ऐसे ही चलता रहेगा यह एक शोध का विषय है ।
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते ...
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