नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन में अल्पसंख्यक और गरीबों पर विशेष ध्यान
भाजपा और एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद मोदी ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया। इसे बाद कक्ष में विशेष रूप से रखी गई संविधान की पुस्तक के पास गए और माथा टेककर उसे नमन किया। इसके बाद उन्होंने अपना संबोधन दिया।
सम्बोधन में अल्पसंख्यक पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में हिंदू मुसलमान कंधे से कन्धा मिला कर गुलामी के विरूद्ध एक साथ लड़े थे तब बहुसंख्यक या अल्पसख्यक कुछ नहीं था हमें अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास जीतना है पिछले सरकारों ने अगर उनकी शिक्षा स्वस्थ्य की चिंता की होती तो स्थिति कुछ और होती। मोदी ने कहा, संविधान को साक्षी मान हम संकल्प लें कि सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हमें 21वीं सदी में हिंदुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ- सबका विकास, सबका विश्वास के लक्ष्य को अपनी नई सरकार के मूल मंत्र के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा, हिन्दुस्तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें अल्पसंख्यकों सहित सभी का विश्वास जीतना है। मोदी ने कहा, देश पर इस गरीबी का जो टैग लगा है, उससे देश को मुक्त करना है। गरीबों के हक के लिए हमें जीना-जूझना है, अपना जीवन खपाना है। अच्छा होता कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा, स्वास्थ्य की चिंता की जाती। अब इस छल को छेदना है। बड़बोले नेताओं के लिए मोदी ने किसी का नाम न लेते हुए कहा कि बड़बोलापन जो होता है, टीवी के सामने कुछ भी बोल देते हैं। जो बोल देते हैं तो 24-48 घंटे तक चलती है और अपनी परेशानी बढ़ती है। कुछ लोग सुबह उठकर जब तक राष्ट्र के नाम संदेश नहीं दे लेते हैं, उन्हें चैन नहीं पड़ता। आपको इससे बचना चाहिए।
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