सावी खबर, लखनऊ, 24 अप्रैल। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड कैम्पस की कक्षा-6 की छात्रा काशवी पॉल ने अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित नेशनल इंग्लिश इण्डियन टैलेन्ट ओलम्पियाड (एन.ई.आई.टी.ओ.) में अपने ज्ञान-विज्ञान का शानदार प्रदर्शन कर विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। इस प्रतिष्ठित ओलम्पियाड के द्वितीय चरण में काशवी ने देश भर में प्रथम रैंक अर्जित नेशनल टॉपर का खिताब अर्जित किया है। इस उपलब्धि हेतु सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस की इस मेधावी छात्रों मैडल, प्रशस्ति पत्र एवं उपहार स्वरूप एक टैबलेट प्रदान कर सम्मानित किया गया। सी.एम.एस. के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में देश भर के विभिन्न प्रतिष्ठित विद्यालयों के छात्रों ने प्रतिभाग किया तथापि कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच इस प्रतिभाशाली छात्रा ने अंग्रेजी भाषा के उत्कृष्ट ज्ञान का प्रदर्शन कर विद्यालय का नाम रोशन किया है। श्री शर्मा ने कहा कि सी.एम.एस. का मानना है कि अंग्रेजी भाषा आज एक विश्व भाषा बन चुकी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सी.एम.एस. अपने प्रत्येक छात्र को मातृ भाषा हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान प्रदान कर रहा है, साथ ही वैज्ञानिक युग के महत्व को स्वीकारते हुए छात्रों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं विश्वव्यापी बनाने के उद्देश्य से जोरदार प्रयास किये जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों की बदौलत सी.एम.एस. के मेधावी छात्रों ने अनेकों राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं।
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते ...
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